विदेश की खबरें | बिम्स्टेक सदस्य देशों को आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद का मिलकर मुकाबला करना चाहिए: जयशंकर

कोलंबो, 29 मार्च विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि बिम्स्टेक के सदस्य देशों को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला सामूहिक रूप से करना चाहिए। जयशंकर ने विशेष रूप से संपर्क, ऊर्जा और समुद्री क्षेत्र में सहयोग को तेज करने एवं इसे विस्तार देने की भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।

कोलंबो में 18वीं बिम्स्टेक मंत्रिस्तरीय बैठक में जयशंकर ने यूक्रेन की स्थिति के बारे में भी बात की और कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने तथा यहां तक कि स्थिरता को भी अब हल्के में नहीं लिया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय तंत्र एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है, शायद हाल की स्मृति में यह सबसे कठिन में से एक है। कोविड-19 महामारी की चुनौतियां अब तक पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय बेचैनी को बढ़ा दिया है।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम सभी ने रेखांकित किया है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने और यहां तक कि स्थिरता को भी अब हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि वैश्विक अर्थव्यवस्था से और कुछ मामलों में अपनी घरेलू अर्थव्यवस्थाओं के भीतर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।’’

बिम्सटेक सदस्य देशों के साथ भारत के सहयोग का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि बंदरगाह केंद्रों, नौका सेवाओं, तटीय जहाजरानी, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही पर सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने राष्ट्रीय विकास प्रयासों में जो कुछ भी हासिल कर सकते हैं, वह निश्चित रूप से एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर वातावरण पर आधारित है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय अपराध और मादक पदार्थ-तस्करी या साइबर हमले जैसी नयी चुनौतियों की अनदेखी नहीं कर सकते ।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ये सभी आर्थिक विकास के उनके प्रयासों को प्रभावित करते हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें कानूनी ढांचे के शेष तत्वों को स्थापित करने की आवश्यकता है जो हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक निकटता एवं अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने में सक्षम बनाएंगी।’’

उन्होंने यह भी कहा कि अंतर बिम्सटेक व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयासों को तेज किया जाना चाहिए। क्षेत्रीय आपूर्ति और मूल्य श्रृंखलाओं के नेटवर्क के विकास से बाहरी झटकों के प्रति संवेदनशीलता कम होगी और अर्थव्यवस्थाओं को अधिक लचीलापन और पारदर्शिता मिलेगी।

जयशंकर ने कहा कि उन्हें बुधवार को शिखर सम्मेलन में ‘चार्टर और मास्टर प्लान’ को अपनाए जाने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने उनके संबोधन पर एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘कल हमारे नेता बिम्सटेक चार्टर को अपनाएंगे। बिम्सटेक के लिए संस्थागत ढांचे को विकसित करने के हमारे प्रयास में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। लेकिन हमें इस उपलब्धि पर आराम से नहीं बैठना चाहिए और इसके बजाय ‘अगले कदम’ पर आगे बढ़ना चाहिए जिसे बिम्सटेक को और मजबूत करने के लिए उठाया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हम प्राथमिकता वाले संस्थान-निर्माण कार्यों और सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करेंगे और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को (बिम्सटेक के) महासचिव के साथ काम करने का जिम्मा सौंपेंगे।’’ उन्होंने बिम्सटेक के सभी भागीदारों से आपदा से बचाव करने में सक्षम अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) में शामिल होने पर विचार करने का भी आग्रह किया।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अपने राष्ट्रीय विकास प्रयासों में जो कुछ हासिल कर सकते हैं, वह निश्चित रूप से शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर वातावरण पर आधारित है।’’ जयशंकर ने हिंद-प्रशांत में आक्रामक चीनी गतिविधियों का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘बंगाल की खाड़ी एसडीजी 14 लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस को ध्यान में रखते हुए ‘समुद्र में एक अच्छा माहौल’ सुनिश्चित करना इसकी प्राथमिकता है।’’

समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) समुद्र में अवैध गतिविधियों का मुकाबला करने सहित महासागरों में गतिविधियों पर लागू कानूनी ढांचे को निर्धारित करता है। इस सम्मेलन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन को लंबे समय से आपत्तियां हैं।

उन्होंने कहा कि बिम्सटेक के संबंध में भारत सभी प्रासंगिक नीतियों और दृष्टिकोण को वहन करेगा। पहला- ‘पड़ोसी प्रथम’ के रूप में इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देना, दूसरा- हमारे ‘सागर’ दृष्टिकोण के अनुरूप, इसकी पूर्ण समुद्री क्षमता का एहसास और तीसरा- हर महत्वपूर्ण समय में चाहे वह मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) की स्थिति हो, कोविड या आर्थिक सुधार हो, पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में उपस्थित रहना।

भारत और श्रीलंका के अलावा बिम्स्टेक के बांग्लादेश, म्यांमा, थाईलैंड, नेपाल और भूटान सदस्य हैं। बिम्स्टेक समूह के अध्यक्ष के रूप में श्रीलंका शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को बिम्स्टेक समूह के डिजिटल शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें सदस्य देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है।

जयशंकर ने आगामी बिम्सटेक अध्यक्ष के रूप में थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री दोन प्रमुदविनई का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत बिम्सटेक के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आपकी अध्यक्षता के दौरान आपके और आपके देश के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है।’’

जयशंकर सोमवार को कोलंबो पहुंचे और उन्होंने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत द्वारा आर्थिक राहत पैकेज देने के बाद से यह श्रीलंका की उनकी यह पहली यात्रा है।

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