पर्थ, 31 अक्टूबर अर्शदीप सिंह मौजूदा टी20 विश्व कप में अपनी सफलता का श्रेय भुवनेश्वर कुमार को देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सीनियर तेज गेंदबाज पावरप्ले के ओवरों में लगातार दबाव बना रहा है जिससे उनके लिए विकेट हासिल करना आसान हो गया है।
अर्शदीप ने पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने शुरुआती ओवरों में क्रमशः बाबर आजम और क्विंटन डिकॉक जैसे शीर्ष बल्लेबाजों को आउट करके भारत को महत्वपूर्ण सफलता दिलाई।
अर्शदीप ने तीन मैच में 7.83 की इकोनॉमी रेट से सात विकेट चटकाए हैं। भुवनेश्वर के नाम इतने ही मैच में तीन विकेट हैं लेकिन उन्होंने 10.4 ओवर में सिर्फ 4.87 की इकोनॉमी रेट से रन देते हुए शानदार प्रदर्शन किया है।
अर्शदीप ने रविवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की पांच विकेट की हार के बाद कहा, ‘‘हम बल्लेबाजों की कमजोरियों का अध्ययन करते हैं। मैं और भुवी भाई शुरुआत में कुछ स्विंग हासिल करके बल्लेबाजों को छकाने का प्रयास करते हैं। मैं बल्लेबाज को निशाना बना पाता हूं क्योंकि भुवी भाई इतनी किफायती गेंदबाजी कर रहे हैं कि बल्लेबाज पहले से ही दबाव में है।’’
भुवनेश्वर को भले ही काफी विकेट नहीं मिले हों लेकिन अपनी स्विंग की बदौलत उन्होंने तीनों मैच में बल्लेबाजों को काफी परेशान किया।
अर्शदीप ने कहा, ‘‘मेरी सफलता का श्रेय उन्हें जाता है। बल्लेबाज उनके (भुवनेश्वर) खिलाफ जोखिम नहीं उठा रहे हैं और मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं इसलिए हमने अच्छी साझेदारी की है। गेंदबाजी साझेदारी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि बल्लेबाजी साझेदारी।’’
शुरुआती ओवरों में मिली सफलता से अर्शदीप का आत्मविश्वास बढ़ा है।
अपने छोटे करियर के दौरान पर्थ के विकेट को सबसे तेज मानने वाले अर्शदीप ने कहा, ‘‘जब आप शुरुआत में विकेट लेते हैं तो आत्मविश्वास हासिल करते हैं और टीम भी आपकी क्षमताओं पर भरोसा करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह गेंदबाजी करने के लिए शानदार ट्रैक था। यह किसी भी तेज गेंदबाज के लिए स्वप्निल विकेट था और शायद मेरे करियर में अब तक की सबसे जीवंत पिच।’’
हालांकि इस तरह के ट्रैक पर सभी गेंदबाजों के लिए समान आदर्श लेंथ नहीं होती।
अर्शदीप ने कहा, ‘‘इस तरह के विकेट पर हर गेंदबाज के लिए आदर्श लेंथ बदल जाएगी। जिस दिन गेंद थोड़ी स्विंग करती है उस दिन आप फुल लेंथ से गेंदबाजी करना चाहेंगे और विकेट से कोई मदद नहीं मिलती तो आप सामान्य हार्ड लेंथ से गेंदबाजी करते हैं।’’
अर्शदीप ने इस सवाल को दरकिनार कर दिया कि सीनियर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को 18वां ओवर क्यों दिया गया।
अर्शदीप ने इस कदम के बचाव में कहा, ‘‘अगर आप पांच गेंदबाजों के साथ खेल रहे हैं तो जहां भी रोहित भाई को लगा कि उन्हें अश्विन को लाना चाहिए तो उन्होंने ऐसा किया।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या इस विकेट पर 145 रन का स्कोर पर्याप्त हो सकता था, अर्शदीप ने कहा, ‘‘यह अगर और मगर का मामला है। हो सकता है कि 133 काफी अच्छा होता और कभी-कभी 160 भी कम लगता है। इसलिए जब तक आप 145 स्कोर नहीं करते तब तक आपको पता नहीं चलेगा।’’
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