पटियाला (पंजाब), 28 मई भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने कोविड-19 महामारी की स्थिति से निपटने में पंजाब सरकार की कथित विफलता को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के गृह निर्वाचन क्षेत्र पटियाला में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक, भाकियू (एकता उगराहां) ने साथ ही केंद्र पर भी कोविड स्थिति से निटपने में कथित तौर पर असफल रहने को लेकर निशाना साधा।
भाकियू (यू) के एक नेता ने कहा कि केवल कुछ प्रदर्शनकारी ही रात भर कार्यक्रम स्थल पर रुकेंगे, जबकि बाकी अगली सुबह फिर से उनके साथ शामिल होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन हो।
बीकेयू (यू) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि सरकार महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने में असफल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां एक ओर नरेंद्र मोदी सरकार कोविड की स्थिति से निपटने में विफल रही है, वहीं हमें लगता है कि पंजाब सरकार राज्य में महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने में असफल रही है।’’
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रविवार को भाकियू (एकता उगराहां) से आग्रह किया था कि वह अपना निर्धारित धरना आयोजित नहीं करे। उन्होंने कहा था कि उसका तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन संक्रमण फैलाने वाला बन सकता है।
भाकियू नेताओं ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि सभी ने मास्क पहना हो और यहां थाने के पास पीयूडीए मैदान स्थित धरना स्थल पर उपलब्ध कराई गई मशीनों से अपने हाथों को सैनिटाइज किया हो।
भाकियू (यू) के नेताओं ने कहा कि एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियमों को भी लागू किया जा रहा है क्योंकि जो किसान इकट्ठा हुए है उन्हें सीधी पंक्ती में बैठाया गया है।
कोकरीकलां ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, जबकि शहरों में वेंटिलेटर तो हैं लेकिन उन्हें चलाने के लिए कोई तकनीकी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए बठिंडा में 29 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए क्योंकि सरकार के पास उन्हें चलाने के लिए तकनीशियन नहीं थे।’’
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों के कई पद खाली हैं, जिन्हें उन्होंने जल्द से जल्द भरने की मांग की।
कुछ निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को कथित रूप से लूटने के आरोप पर उन्होंने कहा कि ऐसी सभी बड़ी इकाइयों को सरकारी नियंत्रण में लाया जाना चाहिए और छोटे निजी अस्पतालों में भी कोविड रोगियों के इलाज की दरों को सीमित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘बड़े निजी अस्पतालों को सरकारी नियंत्रण में लिया जाना चाहिए और आवश्यक बिस्तर, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिनके लिए हमने सरकार को पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए बाध्य करने के लिए यह धरना शुरू किया है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड रोधी टीका सभी लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर शहर, कस्बे और गांव में नि:शुल्क जांच की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा कि यदि लोगों के मन में टीके को लेकर कोई शंका है तो स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें दूर किया जाना चाहिए।
भाकियू (यू) के एक अन्य नेता ने कहा कि लोग विभिन्न मोर्चों पर सरकार की विफलता का खामियाजा भुगत रहे हैं।
कोकरीकलां और अन्य किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र भी कोविड-19 की स्थिति से निपटने में विफल रहा है और भाजपा के कुछ नेता अब किसानों पर कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने का आरोप लगाकर उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने नये कृषि कानूनों को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि कई महीनों से चल रहे आंदोलन के बावजूद उसने किसानों की मांगों के प्रति अडियल रवैया अपनाया हुआ है।
मुख्यमंत्री ने इस आरोप को खारिज किया था कि उनकी सरकार महामारी से निपटने में विफल रही है। सिंह ने कहा था कि उन्होंने पंजाब को दिल्ली, महाराष्ट्र और यहां तक कि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ अन्य राज्यों के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए कड़ा संघर्ष किया है।
सिंह ने किसानों से ‘‘गैर-जिम्मेदाराना’’ कार्य नहीं करने और अपने जीवन को खतरे में नहीं डालने का आग्रह किया था क्योंकि उनका विरोध प्रदर्शन राज्य सरकार द्वारा महामारी के खिलाफ लड़ाई में सभी समारोहों पर लगाये गए पूर्ण प्रतिबंध के बीच प्राप्त लाभों को खत्म कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोविड उपयुक्त व्यवहार में किसी भी तरह की ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है और किसी भी तरह का धरना पूरी तरह से अस्वीकार्य है, जब जीवन दांव पर लगा हो।
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