मुंबई, 29 अगस्त आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत मिले कर्ज को लौटाने में चूक की दर या एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) मार्च, 2022 में 4.8 प्रतिशत रहा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
ईसीएलजी योजना कोविड-19 महामारी से प्रभावित कारोबारियों की मदद के लिये शुरू की गयी थी।
कर्ज से जुड़ी सूचना देने वाली कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल ने कहा कि सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में एनपीए यानी फंसा कर्ज अधिक है। ये संपर्क गहन और आवाजाही से जुड़े क्षेत्र होने के नाते महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
सरकार ने महामारी से प्रभावित कर्जदाताओं की मदद के लिये योजना पेश की थी। इसके तहत कारोबारियों को कर्ज आसानी से उपलब्ध कराने के मकसद से वित्तीय संस्थानों को शत-प्रतिशत गारंटी दी गयी। योजना का दायरा बढ़ाने के साथ इसकी मियाद मार्च, 2023 तक बढ़ायी गयी है। इसके तहत अब कुल व्यय बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना भारतीय कारोबारियों को कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने में सफल रही है।
ईसीएलजीएस के बारे में राष्ट्रीय ऋण गारंटी न्यासी कंपनी लि. (एनसीजीटीसी) के आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कुल मिलाकर मार्च, 2022 तक ईसीएलजीएस का लाभ उठाने वाले कर्जदारों के मामले में फंसे कर्ज की दर 4.8 प्रतिशत है।’’
कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश कुमार ने कहा, ‘‘ईसीएलजीएस के माध्यम से समय पर दिये गये कर्ज ने भौगोलिक क्षेत्रों में विभिन्न कारोबार के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण रूप से मदद की है। साथ ही एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) को दिये गये कर्ज को एनपीए बनने से रोका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ईसीएलजीएस सुविधा का लाभ उठाने वाले कर्जदारों के लिये 4.8 प्रतिशत की एनपीए दर उन इकाइयों की तुलना में कम है जो पात्र थे लेकिन सुविधा का लाभ नहीं उठाया। उनके मामले में एनपीए 6.1 प्रतिशत रहा।’’
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