बनिहाल (जम्मू-कश्मीर), 14 अप्रैल नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने रविवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर परोक्ष हमला करते हुए उस पर देश के सांप्रदायिक सौहार्द को ‘नष्ट’ करने का आरोप लगाया।
उन्होंने साथ ही गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) पर जम्मू-कश्मीर में भाजपा पार्टी को धर्मनिरपेक्ष मतों को विभाजित करने में मदद करने का आरोप लगाया।
अब्दुल्ला ने ‘इंडिया’ गठबंधन उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह के समर्थन में जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में एक रोड शो किया।
उधमपुर-कठुआ संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार लाल सिंह का मुकाबला केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र सिंह से है। इस सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा है। इस सीट पर डीपीएपी उम्मीदवार जीएम सरूरी समेत 10 प्रत्याशी मैदान में हैं।
बनिहाल के खड़ी इलाके में रोड शो के दौरान जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकार रसूल वानी अब्दुल्ला के साथ थे।
अब्दुल्ला ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘दो प्रकार की विचारधाराएं हैं, एक जो नफरत फैलाने, सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने, मस्जिदों को गिराने और रक्तपात शुरू करने के लिए यात्राएं निकाल रही हैं। दूसरी विचारधारा का उद्देश्य देश को एकजुट करना, धार्मिक आधार पर अलगाव को दूर करना, भाईचारे को पुनर्जीवित करना और शांति सुनिश्चित करना है।’’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर ने कहा, ‘‘आपके वोट का असर अगले पांच वर्षों तक रहेगा और इसलिए आपको चुनना होगा कि इस बार किसे वोट देना है क्योंकि बाद में खुद को सही करने का कोई मौका नहीं है।’’
उन्होंने डीपीएपी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद पर चिनाब घाटी क्षेत्र में धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करने के लिए भाजपा के इशारे पर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार खड़ा करने का आरोप लगाया।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘भाजपा सांसद ने 10 साल तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन आज उन्हें मदद के लिए किसी अन्य की जरूरत है... डीपीएपी ने केवल उधमपुर से उम्मीदवार क्यों उतारा? जम्मू से क्यों नहीं, जहां वे भाजपा के वोट काटने के लिए एक हिंदू उम्मीदवार को मैदान में उतार सकते थे। उन्होंने मैदान में उन्हें (सरूरी को) सीट जीतने के लिए नहीं उतारा है, अन्यथा आजाद खुद वहां से चुनाव लड़ते।’’
उन्होंने आज़ाद के ‘‘भाजपा के हाथों में खेलने’’ पर अफसोस जताया और कहा कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला, डीपीएपी अध्यक्ष के बहुत करीबी थे।
अब्दुल्ला ने दावा किया कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस ही थी जिसने कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता आजाद को दो बार राज्यसभा में निर्वाचित होने में मदद की।
उन्होंने कहा, ‘‘वह (आजाद) सबसे बड़े नेताओं में से थे और हमारी राय थी कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर वह देश के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति हो सकते थे।’’
आजाद ने अगस्त 2022 में कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
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