देश की खबरें | कोविड-19 दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर नकद जुर्माना वसूलने से बचें : अदालत ने आप सरकार से कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस और प्रशासन कोविड-19 दिशा-निर्देर्शों के उल्लंघन के मामले में नकद जुर्माना वसूलने से बचे और शहर की आप सरकार इसके लिए एक पोर्टल बनाए। अदालत ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि सिर्फ नवंबर के महीने में अभी तक संक्रमण से 2,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
नयी दिल्ली, 26 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस और प्रशासन कोविड-19 दिशा-निर्देर्शों के उल्लंघन के मामले में नकद जुर्माना वसूलने से बचे और शहर की आप सरकार इसके लिए एक पोर्टल बनाए। अदालत ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि सिर्फ नवंबर के महीने में अभी तक संक्रमण से 2,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
अदालत ने आप सरकार से यह भी जानना चाहा कि महामारी के दौर में जुर्माने की राशि वसूलने और उस राशि का उपयोग करने के लिए क्या कर रही है।
विवाह समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या फिर से कम करके 50 किए जाने पर अदालत ने पूछा कि इस नियम को कैसे लागू किया जा रहा है और इसे लागू करने के लिए क्या प्रोटोकॉल बनाए गए हैं, क्योंकि इस सीजन में बड़ी संख्या में विवाह समारोह होते हैं।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि मौजूदा हालात में नकद लेन-देन से बचने की जरुरत है और जुर्माना भुगतान के लिए ई-माध्यमों का उपयोग किया जाना चाहिए।
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उसने कहा कि जुर्माना भरने के लिए अगर पहले से पोर्टल उपलब्ध नहीं है तो आप सरकार को इसके लिए पोर्टल बनाना चाहिए।
पीठ ने पूछा, ‘‘आपने जुर्माना भरने के लिए कोई ऑनलाइन तरीका तय किया है या फिर लोगों को नजदीकी केन्द्र पर जाकर नकद जुर्माना भरना पड़ेगा? मौजूदा हालात में नकदी देने या नकद के लेन-देन से बचना चाहिए और अगर जुर्माना ऐसे ही वसूला जा रहा है, और लोगों से आशा की जा रही है कि वे नजदीकी केन्द्र में जाकर जुर्माना भरेंगे तो, यह उचित नहीं है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘अगर कोई दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके पास तय समय में ऑनलाइन जुर्माना भरने का विकल्प होना चाहिए। अगर आपके पास कोई पोर्टल नहीं है तो आप ऑनलाइन पेमेंट लेने के लिए उसे बनाएं। दिल्ली पुलिस से भी पुष्टि करें कि क्या उनके पास ऐसी कोई प्रणाली है।’’
अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा कि उसने जुर्माने से वसूली गई इतनी बड़ी रकम का क्या किया है। साथ ही अदालत ने सलाह दी कि इस धन राशि का उपयोग कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में किया जाए।
पीठ ने पूछा, ‘‘क्या सिर्फ उन्हें वसूल कर रखा जा रहा है या फिर उसका सही जगह इस्तेमाल किया जा रहा है? उनका कोविड-19 संबंधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है या फिर वह सिर्फ खजाने में पड़े हुए हैं।’’
पीठ ने इस संबंध में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस दोनों से जवाब मांगा है।
अदालत ने पूछा कि क्या सचमुच दिल्ली सरकार के पास धन की कमी है, जैसा कि उनके वकील सत्यकाम ने सुनवाई के दौरान दावा किया है। अगर ऐसा है तो इस धन (जुर्माने से वसूली गई राशि) का उपयोग करें।
पीठ ने कहा, ‘‘विचार यह है कि इसका उपयोग अच्छे काम के लिए होना चाहिए।’’
दिल्ली सरकार के यह बताने पर कि राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना 40,000 आरटी/पीसीआर जांच हो रही हैं, अदालत ने कहा कि उसके बार-बार कहने और बड़ी संख्या में जनहानि के बाद यह हो पा रहा है।
अदालत वकील राकेश मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने दिल्ली में बड़ी संख्या में कोविड-19 की जांच कराने और जांच परिणाम जल्दी देने का अनुरोध किया था।
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