काठमांडू, 5 नवंबर : नेपाल में भूकंप के कारण कम से कम 157 लोगों की मौत होने और बड़ी संख्या में मकानों के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने के कारण देश के पश्चिमोत्तर हिस्से के पर्वतीय गांवों में हजारों लोगों को कड़ाके की ठंड के बावजूद शनिवार रात को बाहर सड़कों पर सोना पड़ा. नेपाल में शुक्रवार रात अचानक आए भूकंप से जाजरकोट जिले के गांवों में अधिकतर मकान या तो ढह गए या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि कस्बों में कंक्रीट के कुछ मकान क्षतिग्रस्त हो गए. चिउरी गांव के निवासी लाल बहादुर बीका ने भूकंप के कारण मारे गए 13 लोगों के सफेद कपड़ों में लिपटे शवों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘हम अपने गांवों में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे हैं और भूकंप में घायल हुए लोगों की देखभाल करने की कोशिश कर रहे हैं.’’
इन शवों का रविवार सुबह अंतिम संस्कार किया जाना है. चिउरी गांव में कई मकान ढह गए हैं. लोगों ने रात में खुद को गर्म रखने के लिए प्लास्टिक की चादरों और पुराने कपड़ों का उपयोग किया. कई लोग अपने ढह चुके मकानों के मलबे के नीचे से अपना सामान निकालने में असमर्थ हैं. बचावकर्मी तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कई पहाड़ी गांवों तक पैदल ही पहुंचा जा सकता है जिसके कारण अभियान में बाधा पैदा हो रही है. भूकंप के कारण हुए भूस्खलन से सड़कें भी अवरुद्ध हो गई हैं. सैनिकों को अवरुद्ध सड़कों को साफ करने की कोशिश करते देखा जा सकता है. देश के उपप्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने शनिवार को कहा कि सरकार प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है. हजारों लोगों के रातों-रात बेघर हो जाने के कारण तंबू, भोजन और दवाइयां भेजी गई हैं. यह भी पढ़ें : Israel Hamas War: अरब नेताओं ने इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम पर जोर दिया, ब्लिंकन ने इसे प्रतिकूल बताया
क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती घायलों में शामिल बिमल कुमार कार्की ने कहा, ‘‘मैं गहरी नींद में था तभी अचानक सब जोर से हिलने लगा. मैंने भागने की कोशिश की लेकिन मेरा पूरा मकान ढह गया. मैंने बच कर भागने का प्रयास किया लेकिन मेरा आधा शरीर मलबे में दब गया.’’ कार्की ने कहा, ‘‘मैं चिल्लाया, लेकिन मेरे सभी पड़ोसी ऐसी ही स्थिति में थे और मदद के लिए चिल्ला रहे थे. बचावकर्मियों को मुझ तक पहुंचने में लगभग आधे से एक घंटे का समय लग गया.’’ अस्पताल में भर्ती एक अन्य व्यक्ति टीका राम राणा ने कहा, ‘‘मैं सो रहा था कि रात को करीब 10-11 बजे सब हिलने लगा और मकान धंस गया. कई मकान ढह गए और कई लोग मलबे में दब गए.’’ बचावकर्मी लोगों को सहायता पहुंचाने के साथ-साथ मलबे में जीवित बचे लोगों की तलाश भी कर रहे हैं.