गुवाहाटी, पांच जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने सोमवार को पुलिस से कहा कि राज्य में बलात्कार, हत्या, मादक पदार्थ, उगाही और हथियारों के सभी लंबित मामलों की जांच अगले छह महीने में पूरी की जाए और आरोप पत्र दायर किये जाएं।
सरमा ने यहां पहली बार राज्य के सभी पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ हुई बैठक में निर्देश जारी किये। मुख्यमंत्री ने कहा, “आपके थाने में हत्या, बलात्कार, ड्रग्स, उगाही और अवैध हथियारों के सभी लंबित मामलों में अगले छह महीने में आरोप पत्र दायर हो जाने चाहिए। जैसी भी सहायता की जरूरत हो उसके लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों, रेंज के डीआईजी से संपर्क कीजिए।”
उन्होंने कहा कि अगर फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट आने में देर होती है तो नमूनों को राज्य के बाहर स्थित फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं में भेजा जा सकता है। सरमा ने कहा कि इसके लिए देश की 4-5 बड़ी प्रयोगशालाओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये जा सकते हैं।
सरमा ने प्रभारी अधिकारियों से अपने पुलिस थानों में दल बनाने और आरोप पत्र तैयार करने के लिए सीआईडी की मदद लेने को भी कहा। उन्होंने कहा, “एक महीने में एक पुलिस थाने में बलात्कार के अधिकतम पांच मामले होंगे और आरोप पत्र तीन पन्नों का होता है। हमें पीड़िता को अपनी मां, बहन बेटी जैसा समझ कर आरोप पत्र तैयार करना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आरोप पत्र जल्दी दायर कर दिए जाएं तो लंबित पुलिस मामलों की संख्या में से 50 प्रतिशत मामलों का निपटारा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हर छह महीने में वह प्रभारी अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, इसलिए बैठक के दौरान अधिकारियों को मुख्यमंत्री को जांच में हुई प्रगति से अवगत कराना होगा। असम पुलिस के अनुसार, वर्ष 2020 में राज्य में कुल 1,21,609 संज्ञेय अपराध हुए थे।
सरमा ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 144 के तहत दर्ज ज्यादातर धरना प्रदर्शन के मामलों की फाइलें पुलिस थानों में धूल फांक रही हैं। उन्होंने कहा, “धरना प्रदर्शन जैसे मामूली अपराधों के मामले खोलकर रखने का कोई तुक नहीं है। इसी प्रकार, पारिवारिक मामलों में, परिवार के सदस्यों के बीच मामला सुलझने के बाद भी पुलिस लम्बे समय तक मामले खुले रखती है।”
पशु तस्करी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाएगा।
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