ताजा खबरें | नवंबर तक देश भर में लगभग 73 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए: सरकार

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नवंबर तक देश भर में लगभग 73 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं, जबकि 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी मीटर नहीं लगाया जा सका है।

संसद के उच्च सदन में सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) योजना के तहत विभिन्न राज्यों में 29 नवंबर तक लगभग 73 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं।

जुलाई 2021 में शुरू की गई इस योजना के तहत मार्च 2025 तक 3.3 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय से लगभग 25 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं।

बिजली राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा को एक लिखित सवाल के जवाब में कहा कि 29 नवंबर तक विभिन्न राज्यों में लगभग 19.79 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए हैं और 72.97 लाख उपकरण लगाए गए हैं।

मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु, त्रिपुरा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में स्मार्ट मीटर लगाने की संख्या शून्य थी, जबकि इन राज्यों में उपकरणों की स्वीकृत संख्या क्रमशः 3 करोड़, 5.47 लाख, 1.42 करोड़ और 87.84 लाख थी।

जिन अन्य राज्यों में कोई मीटर नहीं लगाया जा सका है उनमें नगालैंड (3.17 लाख स्वीकृत के मुकाबले), मेघालय (4.60 लाख स्वीकृत के मुकाबले), मिजोरम (2.89 लाख), झारखंड (13.41 लाख), केरल (1.32 करोड़), अरुणाचल प्रदेश (2.87 लाख) और गोवा (7.41 लाख) शामिल हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि 29 नवंबर तक अंडमान निकोबार और पुडुचेरी में एक भी मीटर नहीं लगाया गया है। जबकि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए क्रमशः 83,573 और 4.03 लाख स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए थे।

इस साल 29 नवंबर तक, असम में 63.64 लाख स्वीकृत के मुकाबले सबसे अधिक 22,89 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए, इसके बाद बिहार में 23.50 लाख स्वीकृत उपकरणों के मुकाबले 19.39 लाख मीटर लगाए गए। मध्य प्रदेश में मंजूर 1.29 करोड़ मीटर के मुकाबले 10.13 लाख मीटर लगाए गए जबकि उत्तर प्रदेश में 2.69 करोड़ स्वीकृत मीटर के मुकाबले 3.79 लाख मीटर लगाए गए।

उत्तराखंड ने कुल स्वीकृत 15.87 लाख स्मार्ट मीटरों के मुकाबले दहाई अंक में मीटर लगाए गए है।

आरडीएसएस को वितरण उपयोगिताओं यानी डिस्कॉम या बिजली विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार के लिए शुरू किया गया था ताकि बिजली की गुणवत्ता और विश्वसनीय आपूर्ति प्रदान की जा सके।

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