नयी दिल्ली, 11 जुलाई केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को चालू खरीफ बुवाई सत्र 2024-25 के दौरान दलहन की खेती के रकबे में वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। इस दौरान दलहनों विशेष रूप से तुअर के रकबे में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
यहां कृषि भवन में खरीफ (ग्रीष्म) फसलों की प्रगति की समीक्षा करते हुए चौहान ने कहा कि दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना देश की प्राथमिकता है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
एक सरकारी बयान में कहा गया कि मंत्री ने सभी राज्यों में उड़द, अरहर और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता दोहराई और अधिक किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सत्र के आखिरी सप्ताह तक दलहन की बुवाई का रकबा 50 प्रतिशत बढ़कर 36.81 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले यह 23.78 लाख हेक्टेयर था।
दलहन और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है, जबकि कटाई सितंबर से शुरू होती है।
जैसे-जैसे खरीफ की बुवाई का मौसम आगे बढ़ेगा, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहेंगी कि दलहन की खेती में यह शुरुआती उछाल उत्पादन में वृद्धि में तब्दील होता है या नहीं।
भारत आयात पर अपनी निर्भरता कम करने और घरेलू कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। दलहन पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ सरकार को उम्मीद है कि इससे किसानों की आय का समर्थन करते हुए पोषण सुरक्षा को हल किया जा सकेगा।
बैठक के दौरान चौहान को मानसून की शुरुआत, भूजल की स्थिति और बीजों और उर्वरकों की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी गई।
खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए समय पर उर्वरक उपलब्धता के महत्व पर जोर देते हुए मंत्री ने उर्वरक विभाग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि राज्यों की मांग के अनुसार डीएपी उर्वरक उपलब्ध हों।
समीक्षा बैठक में कृषि मंत्रालय, भारतीय मौसम विभाग, केंद्रीय जल आयोग और उर्वरक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
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