देश की खबरें | बुलडोजर चलते समय किताबें बचाने वाली आठ वर्षीय अनन्या ने आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा

इस बच्ची के सार्वजनिक हुए वीडियो ने आमजनमानस को उद्वेलित करने के साथ ही उच्चतम न्यायालय का भी ध्यान आकर्षित किया है। अनन्या का आईएएस अधिकारी बनने का सपना है।

प्रयागराज में अवैध रूप से की गयी तोड़फोड़ से संबंधित एक मामले की मंगलवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अंबेडकर नगर जिले के अरई गांव के इस वीडियो पर गौर किया।

चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, ‘‘हाल में एक वीडियो आया है जिसमें बुलडोजर द्वारा छोटी-छोटी झोपड़ियों को गिराया जा रहा है। एक छोटी बच्ची हाथ में किताबों को लेकर तोड़ी गयी झोपड़ी से भाग रही है। इसने सभी को चौंका दिया है।’’

अंबेडकर नगर जिले में मार्च को तोड़फोड़ अभियान के दौरान वहां रखे बैग के पास एक शेड में आग लग गयी तो छोटी बच्ची अनन्या उसे बचाने के लिए दौड़ी।

पत्रकारों से बातचीत में अनन्या ने आईएएस अधिकारी बनने की अपनी आकांक्षाओं और तोड़फोड़ के बीच अपनी किताबें बचाने की बात साझा की।

उसने कहा “मैं स्कूल से लौटी और अपना बैग छप्पर (फूस का शेड) में रख दिया, जहां मेरी मां ने जानवरों को बांधा था। हमारे घर के पास आग लग गयी और मुझे तुरंत अपने स्कूल बैग और किताबों का ख्याल आया। और बुलडोजर करीब आ रहा था, इसलिए, मैं अपनी किताबें और नोटबुक लेने के लिए अंदर भागी।”

इस बीच, उसका परिवार अब भी यह समझने की कोशिश कर रहा है कि उनका घर क्यों गिराया गया।

परिवार के मुखिया अनन्या के दादा राम मिलन यादव ने अपनी उलझन और दर्द को व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि हमारी झोपड़ी क्यों हटाई गयी। यहां तक ​​कि आरोप लगाए गए कि हमारे बच्चे एक आईएएस अधिकारी को गालियां देते थे, जिनका घर हमारे घर के सामने है। यह पूरी तरह से झूठ है।’’

उन्होंने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, ‘‘किसी को गाली देना तो दूर की बात है, हम हमेशा उनके सामने हाथ जोड़कर सम्मान करते हैं। जब उस अधिकारी की नियुक्ति हुई तो हमने जश्न भी मनाया। हमने माला पहनाई और उनके परिवार को बधाई दी। उनके दिल में क्या है, हमें नहीं पता।’’

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। जलालपुर तहसील के उप ज़िलाधिकारी (एसडीएम) पवन जायसवाल ने बुधवार को कहा कि यादव को दो महीने पहले ही अतिक्रमण वाली जमीन खाली करने की नोटिस दी गयी थी।

जायसवाल ने कहा, ‘‘जब प्रशासनिक टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची तो परिवार ने विरोध करना शुरू कर दिया। हमें नहीं पता कि छप्पर में से एक में आग कैसे लगी, लेकिन इसे काबू में कर लिया गया। बाद में एक ढांचे को ढहा दिया गया, लेकिन वह पूरी तरह से गैर-आवासीय था।’’

सार्वजनिक वीडियो के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘लड़की जिस झोपड़ी से किताबें लेकर भागी थी, उसे छुआ तक नहीं गया। यह उस ढांचे से कुछ दूरी पर था, जिसमें आग लगी थी।’’

इस बीच, अधिकारियों ने वीडियो को लेकर उठे विवाद पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

क्षेत्राधिकारी अनूप कुमार सिंह ने हाल में संवाददाताओं को बताया कि स्थानीय राजस्व अधिकारी ने घटना से संबंधित गलत सूचना और एआई-जनरेटेड छवियों के कथित प्रसार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

उन्होंने कहा था इस शिकायत के आधार पर जलालपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। थाना प्रभारी मामले की जांच कर रहे हैं और सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जायसवाल ने यह भी पुष्टि की कि लड़की को तोड़फोड़ से जोड़ने वाले "फर्जी" वीडियो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है।

सं किशोर आनन्द

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