जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में गिरावट से लगभग सभी तेल-तिलहन में गिरावट, मूंगफली अपरिवर्तित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशों में बाजार धराशायी होने के बीच घरेलू बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूट गये और सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल में गिरावट दर्ज हुई। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने यह जानकारी दी।

नयी दिल्ली, 10 जुलाई विदेशों में बाजार धराशायी होने के बीच घरेलू बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूट गये और सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल में गिरावट दर्ज हुई। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने यह जानकारी दी।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट है। शिकॉगो एक्सचेंज कल रात भी गिरावट के साथ बंद हुआ था।

उन्होंने कहा कि देश की तेल मिलों की हालत ऐसी हो चली है कि कुछ मिलों ने अपने बिजली का कनेक्शन कटवाना शुरू कर दिया है और कामगारों को काम से हटाना शुरू कर दिया है। कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग खाद्य तेलों की मंहगाई का हौव्वा खड़ा कर सस्ते आयात को बढ़ाने में लगे हैं जिससे देशी तेल-तिलहन उद्योग ध्वस्त हो रहा है। लेकिन ऐसे निहित स्वार्थ वाले लोग कभी इस चर्चा को सामने नहीं रखते कि खुदरा बाजार में इन्हीं खाद्य तेलों के दाम ऊंचे क्यों हैं जबकि थोक दाम जमीन पर आ चुके हैं।

सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में सबसे बढ़िया खाद्य तेल- सूरजमुखी तेल, बंदरगाहों पर 81 रुपये लीटर के थोक भाव पर बेचा जा रहा है। खुदरा में इसे 100 या 102 रुपये लीटर बिकना चाहिये। लेकिन खुदरा बाजार में यही तेल 140-170 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है। क्या खाद्य तेलों की मंहगाई की बात करने वाले तेल विशेषज्ञ और संगठनों को खुदरा बाजार की इस महंगाई से कोई लेना देना है? उन्हें यह तो बताना ही होगा कि इस खुदरा महंगाई का जिम्मेदार कौन है? इसे कैसे दुरुस्त किया जाना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि जो लोग तिलहन बुवाई की प्रगति पर आंकड़े गिना कर खुशफहमी पैदा कर रहे हैं उन्हें यह स्पष्ट होना पड़ेगा कि पिछले साल मानसून के आने में देर हुई थी और इसी कारण से देर से खरीफ तिलहन फसलों की बुवाई हुई थी। इस साल बरसात समय से पहले है और इसी कारण से बुवाई में प्रगति है। असली तिलहन बुवाई का आंकड़ा तो 15-20 दिन के बाद ही स्पष्ट होगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने समय रहते इन प्रश्नों को हल नहीं किया तो तेल तिलहन उद्योग को बचाने का कोई रास्ता नहीं बचेगा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,860-5,920 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,280-2,580 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,870-1,970 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,870-1,995 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,975 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,680 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,775 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,500-4,520 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,310-4,430 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,085 रुपये प्रति क्विंटल।

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