देश की खबरें | सभी बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून 2018 से लागू करने के लिए उत्तरदायी: अदालत

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सभी बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को 2018 में लागू होने के समय से अपनी नीतियों में प्रभावी करने के लिए उत्तरदायी हैं और ऐसा करने में कोई भी देरी ‘‘कानून की भावना के विपरीत होगी।’’

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सभी बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को 2018 में लागू होने के समय से अपनी नीतियों में प्रभावी करने के लिए उत्तरदायी हैं और ऐसा करने में कोई भी देरी ‘‘कानून की भावना के विपरीत होगी।’’

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि बीमा नियामक आईआरडीएआई बीमा कंपनियों की देखरेख करने और यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि वे कानून का अनुपालन करें और वह इस कानून के गैर अनुपालन पर ‘‘आंखे नहीं मूंद सकता।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि आईआरडीएआई को यह सुनिश्चित करना है कि बीमा कंपनियों द्वारा जारी सभी बीमा उत्पाद कानून के अनुसार हों।

अदालत का यह निर्देश एक महिला की याचिका पर आया जिसका सिजोफ्रेनिया के इलाज के लिए खर्च की प्रतिपूर्ति के दावे को नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि मनोरोग विकार मेडिकल कवर से बाहर रखे गए हैं।

अदालत ने कहा कि 6.67 लाख रुपये का उसका दावा प्रतिपूर्ति योग्य है और वह उसकी हकदार है।

अदालत ने साथ ही बीमा कंपनी पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जिसका भुगतान महिला को किया जाएगा क्योंकि उसे प्रतिपूर्ति के दावे के लिए मुकदमे का सहारा लेने के लिए बाध्य किया गया।

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