जम्मू, 30 सितंबर जम्मू-कश्मीर के पंचायत सदस्यों ने जम्मू में सोमवार को एक सम्मेलन कर अगले साल जनवरी में स्थानीय निकायों का कार्यकाल खत्म होने से पहले उनके चुनाव कराने की मांग की।
पंचों और सरपंचों के प्रतिनिधि संगठन ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस’ (एजेकेपीसी) ने कहा कि चुनाव कराने में किसी भी तरह की देरी "लोकतंत्र और संविधान" की भावना के खिलाफ होगी।
एजेकेपीसी के प्रमुख अनिल शर्मा ने यहां पत्रकारों से कहा, “अगर जम्मू-कश्मीर सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग इन अहम चुनावों को समय पर कराने में असमर्थ है, तो मौजूदा पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) का कार्यकाल चुनाव होने तक बढ़ाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि आज सुबह पीआरआई के निर्वाचित सदस्यों का विशेष सम्मेलन आयोजित किया गया और इसमें शिरकत करने वाले लोगों ने सर्वसम्मति से शहरी स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों में किसी भी देरी का विरोध करने का संकल्प लिया।
नगर निगमों और समितियों का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है जबकि पंचायतों का कार्यकाल अगले साल नौ जनवरी को पूरा हो रहा है।
यूएलबी और पंचायतों के चुनावों में देरी होने का अनुमान है क्योंकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने यूएलबी के चुनावों का प्रभार राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपने की मांग की है।
सीईओ ने मतदाताओं की संख्या में विसंगतियों को दूर करने के लिए वार्डों के नए सिरे से परिसीमन की भी मांग की है।
शर्मा ने कहा कि यह जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव प्राधिकरण उचित कदम उठाएं ताकि चुनाव में देरी न हो।
उन्होंने कहा, “ भारत के संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के मद्देनजर यूएलबी और पंचायत चुनाव कराने में किसी भी तरह की देरी असंवैधानिक होगी।”
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)