एयरलाइंस चाहती हैं लोग पतले हो जाएं
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जिस शिद्दत से विमान बनाने वाली कंपनियां और एयरलाइंस चाहती हैं कि मोटापा खत्म हो जाए, कोई अन्य उद्योग शायद ही इस समस्या के बारे में इतनी शिद्दत से सोचता होगा.दुनिया की कई दवा बनाने वाली कंपनियां मोटापा कम करने के लिए दवाएं खोजने और बनाने में लगी हैं. वजन घटानापूरा एक उद्योग क्षेत्र है और दवा कंपनियां उस क्षेत्र के विस्तृत बाजार को भुनाने में लगी हैं. इसके लिए अरबों डॉलर खर्च किये जा रहे हैं.

इन कोशिशों की ओर एयरलाइंस और विमान बनाने वाली कंपनियां बहुत उम्मीद से देख रही हैं क्योंकि लोग पतले हो जाएं तो इन कंपनियों का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है. हाल ही में फाइनैंस कंपनी जेफरीज ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया कि अगर यात्रियों का औसत वजन 4.5 किलो घट जाए तो अमेरिका की युनाइटेड एयरलाइंस को सालाना आठ करोड़ डॉलर की बचत होगी.

जेफरीज के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाली फाइनैंशल एनालिस्ट शीला कायाग्लू ने मोटापा घटाने वाली दवाओं के लाभार्थियों पर शोध किया है. वह कहती हैं कि ऐसी दवाओं का बाजार 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का हो सकता है और इस दशक के अंत तक इन दवाओं की बिक्री में भारी उछाल आ सकता है.

क्यों है वजन को लेकर चिंता

यात्रियों का वजन विमान कंपनियों के लिए एक बड़ी चिंता है क्योंकि विमान में जितना ज्यादा वजन होता है, वह उतना ही ज्यादा ईंधन प्रयोग करता है. ईंधन और मजदूरी विमान कंपनियों के लिए दो सबसे बड़े खर्चे हैं. इसमें सिर्फ ईंधन पर खर्च कुल लागत का 25 फीसदी है.

इस खर्च को कम करने के लिए एयरलाइंस ने कई तरह के नुस्खे आजमाए हैं. मसलन, यात्रियों के सामान की वजन सीमा कम की गयी है. पत्रिकाएं हटायी गयी हैं. बर्तनों और विमान में खाना बांटने के दौरान इस्तेमाल होने वाली कार्ट का वजन कम किया गया है.

जेफरीज की रिपोर्ट कहती है कि अगर यात्रियों का औसत वजन 4.5 किलो कम हो जाए तो हर युनाइटेड फ्लाइट 800 किलोग्राम से ज्यादा हल्की हो जाएगी. इससे सालाना 276 गैलन तेल की बचत होगी. 2023 में ईंधन का औसत दाम 2.89 अमेरिकी डॉलर प्रति गैलन रहा है. इस हिसाब से युनाइटेड को हर साल आठ करोड़ डॉलर बचेंगे.

अपनी रिपोर्ट में कायाग्लू लिखती हैं, "सभी एयरलाइंस को इसी तरह का लाभ पहुंचेगा.” मसलन, ऑस्ट्रेलियाई एयरलाइंस ने पिछले महीने कहा कि उसकी ईंधन लागत 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा बढ़ सकती है और अगर ईंधन की कीमतें इसी तरह ऊंची रहती हैं तो किराये बढ़ाने पड़ सकते हैं.

खतरनाक स्तर पर बढ़ता मोटापा

अमेरिका के ब्यूरो ऑफ ट्रांसपोर्टेशन स्टैटिस्टिक्स एंड एयरलाइंस के मुताबिक ईंधन के दाम में प्रति गैलन 10 अमेरिकी सेंट यानी करीब आठ रुपये की वृद्धि होने पर विमानन कंपनियों का खर्च सालाना 2 अरब डॉलर बढ़ जाता है.

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक हर तीन में से एक वयस्क और हर पांच में से एक बच्चे का वजन स्वस्थ सीमा से ज्यादा है. जेफरीज की रिपोर्ट इस आंकड़े वैश्विक स्तर पर विस्तार देते हुए कहती है कि 2013 में दुनिया की 36.4 फीसदी आबादी का वजन सीमा से ज्यादा था जो इस साल 41.5 फीसदी तक पहुंच सकती है.

इस साल मई में लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में बताया गया कि भारत में 40 प्रतिशत महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष मोटापे का शिकार हैं. हालांकि यह मोटापा सिर्फ पेट के बढ़े आकार के कारण है. अगर बीएमआई के आधार पर आंका जाए तो 23 फीसदी महिलाएं ही मोटापे की श्रेणी में आएंगी. यानी जो महिलाएं बीएमआई के आंकड़े पर मोटापे का शिकार नहीं हैं, वे भी बड़े पेट के कारण स्वस्थ सीमा से अधिक वजन वाली हैं.

एक ताजा अध्ययन बताता है कि दुनिया मोटापे की भारी आर्थिक कीमत चुका रही है और इसका सबसे ज्यादा असर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है. बुधवार को प्रकाशित हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि 2060 तक मोटापा जीडीपी का 3.3 फीसदी नुकसान कर देगा.

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ पत्रिका में छपा यह अध्ययन मोटापे का हरेक देश पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करता है. मोटापा अपने आप में तो एक बीमारी है ही, यह कैंसर, डायबीटीज और हृदय रोगों की भी सबसे बड़ी वजहों में से एक है.विवेक कुमार (रॉयटर्स)