देश की खबरें | दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में बिगड़ी वायु गुणवत्ता, राष्ट्रीय राजधानी में गैर जरूरी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में आसमान धुएं की एक मोटी परत से छिप गया और प्रदूषण का स्तर इस मौसम में पहली बार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया।

नयी दिल्ली, दो नवंबर केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में आसमान धुएं की एक मोटी परत से छिप गया और प्रदूषण का स्तर इस मौसम में पहली बार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया।

वैज्ञानिकों ने अगले दो सप्ताह के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की चेतावनी जारी की है। वहीं, चिकित्सकों ने सांस संबंधी समस्याओं के बढ़ने की चेतावनी जारी की।

दिल्ली सरकार ने हालात की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक आपात बैठक बुलाई है।

शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम पांच बजे तक 402 हो गया था, जो इस पूरे मौसम में अभी तक सबसे ज्यादा दर्ज किया गया। बुधवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 था।

निर्माण कार्यों पर रोक और सडक़ों किनारे पानी के छिडकाव के बावजूद हरियाणा के जींद में हवा जहरीली बनी हुई है। जींद का एक्यूआई बृहस्पतिवार को 416 दर्ज किया गया, जिसके चलते वातावरण पूरे दिन धुएं जैसा रहा।

सिर्फ दिल्ली ही नहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा जहरीली पाई गई।

हरियाणा और पंजाब में कई स्थानों पर गुरुवार को एक्यूआई 'खराब' और 'बहुत खराब' श्रेणियों में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, हिसार में एक्यूआई 422, फतेहाबाद में 416, जींद में 415, रोहतक में 394, कैथल में 378, सोनीपत में 377, फरीदाबाद में 373, भिवानी में 357 और करनाल में 348 दर्ज किया गया।

वहीं पंजाब के बठिंडा में एक्यूआई 303, मंडी गोविंदगढ़ में 299, खन्ना में 255, जालंधर में 220, लुधियाना में 214 और अमृतसर में 166 दर्ज किया गया।

पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में एक्यूआई 194 रहा।

इसबीच, राजस्थान के हनुमानगढ़ में 438 और श्री गंगानगर में एक्यूआई 359 दर्ज किया गया।

एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

इन स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही।

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा तथा फेफड़ों से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।

सफदरजंग अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख जुगल किशोर ने कहा, ‘‘यह सलाह दी जाती है कि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोग अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और जब तक बहुत जरूरी न हो, खुले में न जाएं।’’

उन्होंने लोगों को अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी।

हाल के दिनों में प्रदूषक तत्वों के जमा होने के पीछे एक प्रमुख कारण मानसून के बाद बारिश का न होना है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि जिन क्षेत्रों में एक्यूआई लगातार पांच दिनों 400 अंक से अधिक दर्ज किया गया वहां सरकार निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाएगी ।

सरकार ने वाहन प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान की शुरुआत की है और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने और वाहन प्रदूषण कम करने के लिए 1,000 निजी सीएनजी बसें किराए पर लेने की योजना बनाई है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं।

पंजाब सरकार का लक्ष्य, इस साल सर्दियों में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत तक कमी लाना है और छह जिलों में इन मामलों को पूरी तरह खत्म करना है, जिनमें होशियारपुर, मलेरकोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली) और एसबीएस नगर शामिल हैं।

हरियाणा का अनुमान है कि राज्य में लगभग 14.82 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। इससे 73 लाख टन से अधिक धान का भूसा उत्पन्न होने की उम्मीद है। राज्य इस वर्ष पराली जलाने के मामलों को पूरी तरह रोकने का प्रयास कर रहा है।

पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 15 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 15 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है।

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