देश की खबरें | अग्निपथ: संजय सिंह, वरुण ने उम्मीदवारों की जाति पूछे जाने का दावा किया, राजनाथ बताया अफवाह
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारतीय सेना ‘अग्निपथ’ योजना के तहत युवाओं की भर्ती में जाति को एक कारक के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
नयी दिल्ली, 19 जुलाई आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारतीय सेना ‘अग्निपथ’ योजना के तहत युवाओं की भर्ती में जाति को एक कारक के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुरंत इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि यह केवल ‘‘एक अफवाह’’ है।
आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस मुद्दे को लेकर तीखा हमला किया। वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता उपेंद्र कुशवाहा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने भी सेना की भर्ती के लिए जाति प्रमाणपत्र मांगे जाने संबंधी कथित दस्तावेज ट्विटर पर साझा किया और इस पर चिंता जताई।
राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘‘ मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह एक अफवाह है। आजादी से पहले जो (भर्ती) व्यवस्था थी, वह अब भी जारी है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।’’
सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोप लगाया कि आलोचक युवाओं को सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए भड़का रहे हैं और जोर दिया कि सेना की भर्ती प्रक्रिया समान रूप से स्वतंत्रता पूर्व से चली आ रही है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि इसे औपचारिक स्वरूप वर्ष 1947 के बाद ‘‘विशेष सेना आदेश’’ के तहत दिया गया और अब भी उसका अनुपालन किया जा रहा है।
पात्रा ने कहा कि सेना ने वर्ष 2013 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासनकाल के दौरान एक जनहित याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि उसकी भर्ती में धर्म और जाति की कोई भूमिका नहीं है और उम्मीदवारों से यह जानकारी केवल प्राशसनिक कारणों से ली जाती है।
इससे पहले संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना की भर्ती में उम्मीदवारों से उनकी जाति का उल्लेख करने को कहा जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को सशस्त्र बलों में अपनी सेवा देने के योग्य नहीं समझते।
आप नेता सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/ पिछड़ों/ आदिवासियों को सेना में भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर तैयार करना है या ‘‘जातिवीर’’।’’
भाजपा की सहयोगी जदयू के नेता कुशवाहा ने भी यह मुद्दा उठाया और सवाल किया कि जब आरक्षण का प्रावधान नहीं है, तो सेना की भर्ती में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है।
भाजपा सांसद वरुण गांधी भी कुशवाहा का इस मुद्दे पर समर्थन करते नजर आए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे?’’
वरुण गांधी ने कहा, ‘‘सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।’’
आलोचकों पर तीखा हमला करते हुए पात्रा ने कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों पर राजनीति करने के दौरान सेना का अनादर और अपमान करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि अगर सैनिक अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के दौरान सर्वोच्च बलिदान देता है, तो उसके धर्म की जानकारी होने से अंतिम संस्कार की तैयारी करने में मदद मिलती है।
पात्रा ने कहा कि विपक्षी सदस्य समय-समय पर सेना को लेकर विवाद पैदा करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले भी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया था।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘ भारतीय सेना कभी आवेदकों की जाति और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती। वह इससे ऊपर है। क्या इन लोगों को यह जानकारी नहीं है।’’
सिंह ने राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू से अग्निपथ योजना के लिए नीति में किए गए कथित बदलाव का मुद्दा उठाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर जाति या धर्म के मुद्दे का उल्लेख नहीं किया।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद)सांसद मनोज झा ने अग्निपथ योजना के कथित ‘‘ विनाशकारी प्रभाव’’के साथ-साथ रेलवे में रोजगार के अकांक्षी हजारों युवाओं को अवसर देने से इंकार करने के मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद के उच्च सदन में स्थगन प्रस्ताव पेश किया।
गौरतलब है कि अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों में सैनिकों की अल्पकाल के लिए भर्ती की योजना है जिसकी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। इसके तहत भर्ती होने वाले ‘‘ अग्निवीरो’’ में से 75 प्रतिशत को चार साल के बाद सेवामुक्त कर दिया जाएगा जबकि इनमें से 25 प्रतिशत उम्मीदवार दीर्घकालिक सेवा के लिए चुने जाएंगे।
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