नयी दिल्ली, 23 दिसंबर दूरसंचार क्षेत्र को सरकार द्वारा घोषित सुधारों और शुल्क दरों में वृद्धि करने से भले ही कुछ मदद मिली हो लेकिन चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। दूरसंचार उद्योग को आने वाले महीनों में 5जी नेटवर्क शुरू करने के लिए नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
देशभर में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करने वाले दूरसंचार क्षेत्र में आने वाले वर्षों में 1.3 लाख करोड़ रुपये से 2.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।
यह निवेश मजबूत बुनियादी ढांचे और दूरसंचार तथा नेटवर्क उत्पादों के निर्माण में किया जाएगा और इसे सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और अन्य सुधारों का समर्थन प्राप्त है।
कई वर्षों की कड़ी प्रतिस्पर्धा और पिछले वैधानिक बकाया के भुगतान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद उद्योगपति सुनील मित्तल की भारती एयरटेल और दबाव में फंसी वोडाफोन आइडिया ने लगभग मिलकर शुल्क दरें बढ़ायी।
उसके तुरंत बाद मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो भी दोनों कंपनियों की तरह शुल्क दरों में वृद्धि की।
सरकार के राहत पैकेज के साथ बकाया भुगतान के लिए चार साल का समय देने समेत शुल्क दरों में वृद्धि से उद्योग को उठने के लिए बल मिला है। सरकार द्वारा अधिक सुधारों का वादा करने के साथ उद्योग नए साल में उत्साह के साथ प्रवेश कर रहा है।
इसी के साथ दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां 5जी स्पेक्ट्रम का मूल्य तय करने पर सकारात्मक परिणाम देखने के लिए भी उत्सुक है। यह नीलामी अगले कुछ महीनों में होगी।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा, ‘‘ 5जी नेटवर्क से जुड़े स्पेक्ट्रम, ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने और अखिल भारतीय स्तर पर बेहतर सेवा के लिए टावर लगाने को लेकर दूरसंचार कंपनियों को लगभग 1.3-2.3 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की जरूरत होगी।’’
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