जम्मू, दो जून पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कठिन समय में लोगों को अपने हाल पर छोड़ देने के लिए बुधवार को केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कोरोना वायरस महामारी की तुलना में कुप्रबंधन और भाई-भतीजावाद के साथ प्रशासनिक उदासीनता ज्यादा घातक है।
महबूबा ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए कुशल, अनुभवी और दक्षता का कोई मतलब नहीं रह गया है और इस वजह से पूरी तरह प्रशासनिक अराजकता उत्पन्न हो गयी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘खासकर जम्मू में मिश्रित आबादी है और यहां हमेशा संतुलित प्रशासन रहा है लेकिन पिछले दो साल में भाई-भतीजावाद के कारण प्रशासन में असंतुलन पैदा हो गया है।’’
पीडीपी की प्रांतीय कमेटी, जम्मू की डिजिटल माध्यम से हुई बैठक में क्षेत्र के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी हिस्सा लिया। महबूबा ने दावा किया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी को अतिक्रमण रोधी अभियान के नाम पर प्रताड़ित किया गया और कुछ बड़े नेताओं को संतुष्ट करने के लिए वे हाशिए पर धकेल दिए गए।
महबूबा ने कहा, ‘‘अधिकारियों की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण कारोबारी, उद्योगपति, ट्रांसपोर्टर, किसान, श्रमिकों समेत समाज का हर तबका आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है।’’
उन्होंने कहा,‘‘आज स्थिति ये है कि महामारी से जूझ रहे लोगों को दवा तक उपलब्ध नहीं है।’’
कोविड-19 की स्थिति का हवाला देते हुए महबूबा ने कहा कि बढ़ते संक्रमण दर और मृतकों की संख्या के कारण यह स्पष्ट है कि देश के बाकी हिस्से की तरह जम्मू कश्मीर में भी प्रशासन आपात हालात से निपटने में नाकाम रहा।
उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी प्रशासनिक ढांचा ढह गया है क्योंकि दिल्ली में सत्तारूढ़ सरकार एक भी अधिकारी को लोगों के कल्याण के लिए फैसले नहीं करने दे रही।
महबूबा ने दावा किया कि प्रशासन की कार्यप्रणाली और आजादी भाजपा की राजनीतिक आकांक्षा की भेंट चढ़ गयी है और जम्मू को भी इसके नतीजों का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के नेताओं से जिला स्तर पर रणनीति तैयार करने और लोगों तक पहुंचने का अनुरोध किया।
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