देश की खबरें | आदित्य ठाकरे, संजय राउत ने महाराष्ट्र से सांसद की मानहानि याचिका का उच्च न्यायालय में किया विरोध
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउत ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र से सांसद राहुल रमेश शेवाले द्वारा दायर एक मानहानि याचिका का सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में विरोध किया।
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउत ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र से सांसद राहुल रमेश शेवाले द्वारा दायर एक मानहानि याचिका का सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में विरोध किया।
आदित्य और राउत के खिलाफ यह याचिका एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के खेमे और शेवाले के ऊपर कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने को लेकर दायर की गई थी।
राउत के वकील ने दलील दी कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनके पास आलोचना करने का अधिकार है, जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ने कहा कि उनके द्वारा दिये गये राजनीतिक बयान किसी भी तरह से निंदात्मक नहीं हैं।
उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सदस्य संजय राउत अपने-अपने वकीलों के मार्फत अदालत में पेश हुए।
तीनों प्रतिवादियों ने अपने-अपने जवाब दाखिल किये। उल्लेखनीय है कि वादी की अर्जी में यह अनुरोध किया गया है कि सोशल मीडिया मंचों से कथित अपमानजनक सामग्री हटाने की अंतरिम राहत दी जाए।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने वाद को 10 मई को दलीलें पूरी करने के लिए संयुक्त रजिस्ट्रार के पास सूचीबद्ध कर दिया।
सुनवाई के दौरान, राउत की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कानून के इतिहास में पहली बार मानहानि के लिए एक राजनीतिक दल के खिलाफ वाद दायर किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि शिकायत विचार योग्य नहीं है और यह वाक् स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने की कोशिश है।
कामत ने कहा, ‘‘क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई आलोचना नहीं की जा सकती?’’ उन्होंने सवाल किया कि वादी को अंतरिम राहत देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम यह देखेंगे कि आलोचना की प्रकृति क्या है। हम देखेंगे कि क्या बयान दिये गये और निश्चित रूप से मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उचित सम्मान करता हूं।’’
उच्च न्यायालय ने उद्धव, आदित्य और राउत को 28 मार्च को समन जारी किया था तथा उन्हें 30 दिनों के अंदर लिखित दलीलें सौंपने का निर्देश दिया था।
अदालत ने गूगल और ट्विटर को भी याचिका पर 30 दिनों के अंदर अपने लिखित बयान दाखिल करने को कहा था।
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