कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने सिंधिया को कहा ‘महाराज’ तो मंत्री बोले: मेरा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बृहस्पतिवार को सदन में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ‘महाराज’ कहकर संबोधित किया जिस पर मंत्री ने कहा कि वह कांग्रेस नेता को सूचित करना चाहते हैं कि उनका नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Photo Credits: Facebook)

नयी दिल्ली, 10 फरवरी : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बृहस्पतिवार को सदन में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ‘महाराज’ कहकर संबोधित किया जिस पर मंत्री ने कहा कि वह कांग्रेस नेता को सूचित करना चाहते हैं कि उनका नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है. सदन में प्रश्नकाल के दौरान दोनों नेताओं के बीच हल्की-फुल्की नोकझोंक देखने को मिली. नागर विमानन मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न पूछने के दौरान चौधरी ने कहा, ‘‘एक महाराज यहां हैं और दूसरे महाराज ‘एयर इंडिया’ का निजीकरण किया जा रहा है.’’ इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में कुछ हवाई अड्डों को लेकर सवाल किया.

पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए सिंधिया ने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस के नेता को सूचित करना चाहता हूं कि मेरा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है. वह बार-बार मेरे अतीत के बारे में चर्चा करते रहे हैं. मैं उन्हें सिर्फ यह सूचित करना चाहता था.’’ प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी से कहा कि वे सांसदों को स्मार्ट सिटी योजना से संबंधित सलाहकारों की बैठकों में सांसदों को बुलाएं. उन्होंने कहा, ‘‘सांसदों को सलाहकार समिति की बैठक में नहीं बुलाया जाता. यह सभी सांसदों की वेदना है.’’ इसके बाद बिरला ने सदन में यह भी पूछा कि क्या बैठक में बुलाया जाता है तो कई सांसदों ने कहा, ‘‘नहीं.’’ यह भी पढ़ें : Maharashtra: नौकरी का झांसा देकर 17 वर्षीय लड़की से तीन लोगों ने की दरिंदगी, एक आरोपी की पत्नी भी गुनाह में बनी मददगार

पुरी ने कहा कि अगर सांसद कुछ चाहते हैं तो वह उस बारे में बात करने को तैयार हैं. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने अपने मंत्रालय से जुड़े पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि कोरोना महामारी में एमएसएमई उद्योग पर भारी असर हुआ है. कई बंद हुए और कई आरंभ हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत कई पहल की गईं. इस योजना के तहत 2.8 लाख करोड़ रुपये एमएसएमई इकाइयों की मदद के लिए खर्च किए गए.

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