नयी दिल्ली, सात नवंबर कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोयला खदान आवंटन से जुड़ी नीति को बदलते हुए अडाणी समूह को लाभ पहुंचाने वाली कोयला खदान आवंटित की हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अडाणी समूह से जुड़े मामले की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही सामने आ सकती है।
कांग्रेस के आरोप पर अडाणी समूह की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक मूल्य में हेरफेर करने का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर निशाना साध रही है।
अडाणी समूह ने हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है और उसका कहना है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है।
रमेश ने एक बयान में आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री का ध्यान सिर्फ़ अपने क़रीबी मित्रों को समृद्ध करने पर है। यह कोयले के खनन में भी दिखाई देता है। कोयला खदान आवंटन के लिए नीलामी में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए लंबे समय से चली आ रही नीति को बदलते हुए मोदी सरकार ने अडाणी को लाभ पहुंचाने वाली कोयला खदान आवंटित की हैं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘ऐसा तब हुआ है जब अडाणी समूह की कंपनी या तो एकमात्र बोली लगाने वाली कंपनी थी या उसकी ही एक संबंधित पार्टी ने गुप्त रूप से मिलीभगत करके दूसरी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में काम किया। यह कोयले की नीलामी से संबंधित उच्चतम न्यायालय के आदेशों की मूल भावना का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।’’
उनके अनुसार, जब से मोदी सरकार ने वाणिज्यिक खनन (केप्टिव खनन समाप्त करके) के लिए कोयला खदान देना शुरू किया है, अडाणी समूह को सात कोयला खदान मिली हैं।
रमेश ने कहा, ‘‘सिर्फ एक जेपीसी ही अडाणी महाघोटाले से जुड़ी तमाम सच्चाइयों को सामने लाने में सक्षम होगी।’’
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