देश की खबरें | एल्गार मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस को निरंतर चिकित्सा सुविधा दी गई : जेल अधिकारी

मुंबई, 12 सितंबर एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस को डेंगू होने की पुष्टि और अस्पताल में भर्ती कराए जाने से पहले ही तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने पर जेल में नियमित तौर पर इलाज की सुविधा दी जा रही थी। यह जानकारी जेल अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत को दी।

नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में बंद 65 वर्षीय गोंजाल्विस को आठ सितंबर को मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर उनका डेंगू का इलाज चल रहा है।

पिछली सुनवाई में गोंजाल्विस के वकील और परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि जेल अधिकारियों ने कार्यकर्ता को इलाज मुहैया कराने में देरी की और उन्हें बहुत पहले मध्य मुंबई के अस्पताल में भर्ती किया जाना था।

अधिवक्ता लार्सन फुरटार्डो ने विशेष एनआईए अदालत में हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने सात सितंबर को कार्यकर्ता के कुछ सह आरोपियों का जेल के भीतर ‘‘ कानूनी साक्षात्कार’’ (बातचीत की थी) लिया था। हलफनामा में उन्होंने कहा कि इस दौरान सह आरोपियों ने बताया कि गोंजाल्विस की तबीयत लगातार खराब हो रही है और उन्हें के केवल पैरासिटामोल की गोली और एंटीबायोटिक दी जा रही है।

इसके आधार पर विशेष अदालत ने तलोजा जेल के अधीक्षक को रिपोर्ट जमा करने को निर्देश दिया था। अदालत के निर्देश के अनुसार विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) प्रकाश शेट्टी के जरिये सोमवार को दाखिल की गई रिपोर्ट में जेल अधीक्षक ने अदालत को बताया कि गोंजाल्विस की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने के बाद से जेल प्रशासन उन्हें लगातार इलाज मुहैया करा रहा है।

जेल अधीक्षक ने इसके साथ ही अपनी रिपोर्ट में कार्यकर्ता से संबंधित घटनाओं का सिलसिलेवार जिक्र किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि गोंजाल्विस की खराब सेहत की जानकारी 31 अगस्त तक जेल अस्पताल को नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि दो दिन बाद आरोपी बुखार और सिरदर्द की शिकायत के साथ जेल अस्पताल पहुंचा और उसे दवा दी गई।

जेल अधीक्षक ने बताया कि तीन सितंबर को जेल चिकित्सा अधिकारी गोंजाल्विस के बैरक गए और जरूरी दवाएं दीं। उन्होंने बताया कि उसके अगले दिन चिकित्सा अधिकारी दोबारा बैरक गए और इस बार उन्होंने गोंजाल्विस को इंजेक्शन दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि पांच सितंबर को बुखार कम नहीं होने पर रैपिड मलेरिया जांच की गई, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई।

जेल अधीक्षक ने बताया कि गोंजाल्विस को जेल अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि छह सितंबर को उनके खून के नमूने लिए गए और पनवेल सिटी के नजदीकी अस्पताल के फिजिशियन ने भी उनकी जांच की।

जेल अधीक्षक के मुताबिक फिजिशियन की सलाह और जेल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से चर्चा के बाद जेल रक्षकों ने गोंजाल्विस को बुलाया और मध्य मुंबई के जे जे अस्पताल ले गए, जहां पर इलाज करने के बाद उन्हें वापस कारागार भेज दिया गया।

अधिकारी ने बताया कि एक दिन बाद (सात सितंबर को) खून जांच की रिपोर्ट आई और डेंगू होने की पुष्टि हुई, लेकिन उन्हें गणपति उत्सव की वजह से सुरक्षाकर्मी नहीं होने पर अस्पताल स्थानांतरित नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि गोंजाल्विस को अंतत: आठ सितंबर को जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया और अब भी उनका इलाज चल रहा है।

इस बीच, विशेष अदालत ने सोमवार को गोंजाल्विस की पत्नी सुजैन अब्राहम और उनके भाई को 30 मिनट के लिए अस्पताल में जाकर उनसे मिलने की अनुमति दे दी।

गौरतलब है कि गोंजाल्विस पर 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवाड़ा में आयोजित ‘एल्गार परिषद’ की संगोष्ठी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। पुलिस का दावा है कि इन भड़काऊ भाषणों की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके स्थित कोरेगांव भीमा के नजदीक हिंसा भड़की।

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