हुजूरनगर (तेलंगाना), 31 अक्टूबर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को यह कहते हुए कांग्रेस पार्टी का मखौल उड़ाया कि राज्य में उसके पास मुख्यमंत्री पद के कम से कम एक दर्जन उम्मीदवार हैं। चंद्रशेखर ने इसके साथ ही लोगों से उस पार्टी को वोट देने की अपील की, जो वादों को पूरा करती है।
यहां एक चुनावी रैली में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के उम्मीदवार के लिए वोट मांगते हुए राव ने कहा कि कांग्रेस नेता हमेशा अपने पदों और ठेकों में रुचि रखते हैं और उन्हें इस क्षेत्र के लोगों के हितों की कभी भी चिंता नहीं रही।
उन्होंने कांग्रेस का मखौल उड़ाते हुए कहा, ‘‘सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि तेलंगाना कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के एक दर्जन उम्मीदवार हैं। जहां भी आप देखें, वे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। यदि कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है, तो दूसरा उसे पीछे खींचता है। हर कोई यह दावा करके वोट मांगता है कि अगर वह चुना गया तो वह मुख्यमंत्री बन जाएगा।’’
उन्होंने कांग्रेस नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर तेलंगाना कांग्रेस विधायक दल के नेता भट्टी विक्रमार्क तक कहते हैं कि धरणी को समाप्त किया जाना चाहिए, जिसके अवांछनीय परिणाम हो सकते हैं।
धरणी एक एकीकृत भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन पोर्टल है जिसे तेलंगाना में बीआरएस सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
राव ने कहा, ‘‘आपने पहले भी कई चुनाव देखे हैं और मतदान भी किया है। लोगों को सोच-समझकर मतदान करना चाहिए, तभी लोग जीतेंगे, नहीं तो नेता जीतेंगे। जिस चुनाव में जनता जीतेगी, वही असली चुनाव है। तभी सभी लोगों को न्याय मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि कांग्रेस 30 नवंबर के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सके।
चुनावी वादों को सूचीबद्ध करते हुए केसीआर ने कहा कि अगर बीआरएस फिर से सत्ता में आती है, तो सामाजिक पेंशन योजनाओं और रायतु बंधु के तहत राशि को चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री राव ने कहा कि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन जैसे लोगों और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों ने भी किसानों के लिए एक निवेश सहायता योजना - रायतु बंधु की सराहना की है।
राव ने कहा कि राज्य में कृषि क्षेत्र और किसानों को दिए गए प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप, तेलंगाना प्रति वर्ष तीन करोड़ टन धान का उत्पादन करने में सक्षम है, इस संबंध में राज्य देश में पंजाब के बाद दूसरे स्थान पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह तेलंगाना कांग्रेस के नेता ही थे जो 1956 में आंध्र प्रदेश के साथ तेलंगाना के विलय पर सहमत हुए थे।
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