देश की खबरें | शक्तियों पर एक वर्ग का नियंत्रण, यह अध्यक्षीय शासन-व्यवस्था की ओर ले जा सकता है:ममता

कोलकाता, 30 अक्टूबर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को दावा किया कि लोकतांत्रिक शक्तियां लोगों के एक वर्ग के हाथों में केंद्रित होती जा रही है, जो देश को अध्यक्षीय शासन-व्यवस्था की ओर ले जा सकता है।

न्यायपालिका और विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष नेतृत्व से ‘लोकतंत्र को बचाने’ का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो एक दिन ऐसा आएगा जब देश में राष्ट्रपति शासन लगेगा।

भाजपा का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि इस कदम के पीछे सत्ताधारी पार्टी का हाथ है।

ममता ने यहां वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरीडिकल साइंसेज (एनयूजेएस) के दीक्षांत समारोह में न्यायपालिका से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि देश का संघीय ढांचा अक्षुण्ण बना रहे।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘‘सभी लोकतांत्रिक शक्तियां लोगों के एक वर्ग के हाथों में केंद्रित होती जा रही है; यह देश को अध्यक्षीय शासन-व्यवस्था की ओर ले जा सकता है।’’ ममता दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थीं।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

ममता ने यह भी दावा किया कि लोगों को ‘अनावश्यक’ परेशान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री की कई मौकों पर राज्य और केंद्र सरकार की शक्तियों को लेकर केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के साथ टकराव की स्थिति रही है।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि उनका मानना ​​है कि न्यायपालिका को उनके तारणहार के रूप में कार्य करना होगा।

उन्होंने विभिन्न मामलों में मीडिया ट्रायल का आरोप लगाते हुए (लोकतंत्र के) चौथे स्तंभ को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि न्यायपालिका के फैसला सुनाने से पहले ही लोगों के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी इज्जत ही हमारा सम्मान है ..अगर इसे छीन लिया जाए तो यह वापस नहीं आ सकती।’’

बनर्जी ने कहा कि जब लोग हर तरीके से उम्मीद खो देते हैं तो वे न्याय के लिए अदालतों में जाते हैं। उन्होंने नए विधि स्नातकों से कानून और न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया।

माकपा के राज्यसभा सांसद विकास भट्टाचार्य ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने विभिन्न मामलों में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई की है और इसे ‘‘सम्मान छीनना’’ नहीं कहा जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों के लिए वह (ममता) खुद को अपमानित किए जाने का आरोप नहीं लगा सकती हैं।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल सरकार-प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियमितता के आरोप वाले कई मामलों में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है।

इनमें से कुछ मामलों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है।

पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि “न्यायिक प्रणाली पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने” का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वंचित लोग न्याय पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं।’’

तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बनर्जी ने केवल आम लोगों के विचार व्यक्त किए हैं।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नहीं जानती कि लोकतंत्र क्या है। मजूमदार ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में भाजपा पार्टी के कार्यकर्ताओं को तंग किया जाता है और मारपीट की जाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल के लोग पिछले 11-12 साल से देख रहे हैं कि किस तरह राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अगवा किया गया है।’’

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