नयी दिल्ली, 13 जुलाई नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपिन्दर सिंह भल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में 1,73,000 मेगावॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित हो चुकी है जबकि 1,20,000 मेगावॉट क्रियान्वयन के विभिन्न स्तरों पर है।
सरकार ने 2022 तक 1,75,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा था। इसमें एक लाख मेगावॉट सौर तथा 60,000 मेगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता शामिल हैं। इस लिहाज से यह महत्वपूर्ण है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 1,73,610 मेगावॉट है। इसमें 67,820 सौर तथा 43,190 मेगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता है। 46,850 मेगावॉट बड़ी पनबिजली परियोजनाएं तथा 4,940 मेगावॉट क्षमता की छोटी जल विद्युत परियोजनाएं (25-25 मेगावॉट क्षमता की) है।
भल्ला ने अमेरिका-भारत ऊर्जा शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘ऊर्जा बदलाव में तेजी लाने के लिये भारत के प्रयास मजबूत और निर्णायक रहे हैं। वर्तमान में 1,73,000 मेगावॉट से अधिक की कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है जबकि 1,20,000 मेगावॉट क्रियान्वयन के विभन्न चरणों में हैं। इसके साथ भारत नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में दुनिया में चौथी सबसे बड़ी उच्च क्षमता वाला देश है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल में अगले पांच साल यानी मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक सालाना 50,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिये बोलियां आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। यह ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से बदलाव लाने को लेकर संकल्प को बताता है।
सचिव ने कहा कि यह स्वच्छ ऊर्जा से अपनी कुल स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि अपतटीय पवन ऊर्जा उद्योग के विकास के लिये कदम, हाइड्रोजन मिशन, पीएम-कुसुम योजना (कृषि क्षेत्र के लिये), सौर पार्कों का तेजी से विकास, पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना), राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम और छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने को लेकर जारी प्रयास तेजी से ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान देने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
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