वाशिंगटन, 12 जून : अमेरिका (America) का जो बाइडन प्रशासन भारत सरकार और इंटरनेट प्रदाता कंपनियों के साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने का इच्छुक है कि गलत सूचनाओं पर लगाम लगाने के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नहीं हो. एक वरिष्ठ अधिकारी ने सांसदों को यह जानकारी दी. विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) में लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम पर कार्यवाहक प्रधान उप सहायक स्कॉट बसबाय ने एशिया, प्रशांत, मध्य एशिया और अप्रसार पर सदन में विदेश मामलों की उपसमिति में बुधवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि अमेरिका का मानना है कि गलत सूचनाओं का सबसे सही जवाब है सही सूचना.
उन्होंने कहा, ‘‘गलत सूचनाओं तथा निष्पक्ष सूचनाओं तक पहुंच नहीं होने से भारत में कई लोगों की जानें गई हैं. वैश्विक महामारी के पहले कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां सोशल मीडिया पर सूचना मिलने के बाद लोगों ने गोवंश को नुकसान पहुंचाने के संदेह में लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी.’’ उन्होंने कहा कि भारत में वैश्विक महामारी की शुरुआत के दौरान कुछ लोगों ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल संक्रमण को फैलाने के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराने में किया. यह भी पढ़ें : America: जरूरत के वक्त भारत की सहायता कर रहे हैं जैसे पिछले साल कोविड के दौरान उसने की थी : अमेरिकी अधिकारी
अधिकारी ने कहा कि पूरे दक्षिण एशिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सहयोग जैसी आजादी पर अंकुश लगे हैं. उन्होंने कहा,‘‘ भारत में अधिकारी अमेरिकी कारोबारों को सोशल मीडिया की विषय वस्तु को ब्लॉक करने के लिए कहते हैं, इनमें जन स्वास्थ्य से जुड़े लेख शामिल हैं, और इसके लिए पत्रकारों को आरोपित करते हैं अथवा गिरफ्तार करते हैं वह भी ऐसे वक्त में जब देश में संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही हो और एक दम ताजा जानकारी की सबसे ज्यादा जरूरत है.’’