व्लादिवोस्तोक, 6 सितंबर : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन के नेता "एलियंस" जैसे लगते हैं, जो लोगों की पीड़ा की परवाह किए बिना क्रूर निर्णय लेते हैं. उन्होंने भारत जैसे मित्रों और साझेदारों की प्रशंसा की, जो संघर्ष को हल करना चाहते हैं. आरटी की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के पूर्ण अधिवेशन में उन्होंने कहा, "मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है कि यूक्रेन पर शासन करने वाले लोग एलियंस या विदेशियों की तरह हैं. वे नहीं सोचते, उनका नुकसान बहुत बड़ा है. मैं यह भी नहीं समझ सकता कि वे आगे क्या करेंगे."
रूसी राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि संघर्ष की शुरुआत के तुरंत बाद इस्तांबुल वार्ता के दौरान उनका देश और यूक्रेन एक शांति समझौते पर पहुंच गए थे.उन्होंने पश्चिमी शक्तियों पर इन प्रयासों को पटरी से उतारने का आरोप लगाया उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में यूक्रेन के व्यवहार पर सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि कीव का एकमात्र विकल्प सेना में भर्ती की अधिकतम आयु को एक बार फिर से कम करना है और इससे उन्हें "बच्चों को भर्ती करने की अनुमति मिलेगी, जैसा कि जर्मन नाज़ियों ने हिटलर यूथ के साथ किया था." यह भी पढ़ें : वर्ष 2016 में ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान के सलाहकार पर रूसी मीडिया के लिए काम करने का आरोप
यह बात उन्होंने इस संदर्भ में कही कि कैसे एडोल्फ हिटलर के शासन ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में किशोरों को अस्थायी मिलिशिया में शामिल होने के लिए मजबूर किया था, जब मित्र राष्ट्र जर्मन क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे. पुतिन ने कहा, "लेकिन इससे समस्या हल नहीं होगी. यूक्रेन का अगला कदम छात्रों को सेना में भर्ती करना होगा, लेकिन इससे यूक्रेन बर्बादी की तरफ बढ़ेगा." "वे वास्तव में देश के बारे में नहीं सोचते. वे इसे राष्ट्रवादी नारों से ढक देते हैं और लोगों को धोखा देते हैं."
यूक्रेन ने रूस के साथ संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद सैन्य नुकसान की भरपाई के लिए दो विधेयक पारित किए. इनमें से एक मसौदा तैयार करने की आयु 27 से घटाकर 25 वर्ष करना था, और दूसरा लामबंदी नियमों को काफी सख्त करना था. रूसी नेता ने यह भी कहा कि रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसपैठ के बाद से यूक्रेनी सेना को हुई भारी क्षति के कारण उसकी सशस्त्र सेनाएं बेकार हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले महीने सीमा पार बड़े पैमाने पर हमला करके रूसी प्रगति को बाधित करने का यूक्रेनी प्रयास विफल हो गया. आरटी के अनुसार, पुतिन ने कहा, "हमारी सेना ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है और अब धीरे-धीरे सीमावर्ती क्षेत्रों से प्रतिद्वंद्वी को खदेड़ रही है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि (डोनबास में) हमारी प्रगति का कोई विरोध नहीं है. प्रतिद्वंद्वी ने अपेक्षाकृत मजबूत और अच्छी तरह से प्रशिक्षित इकाइयों को सीमावर्ती क्षेत्रों में ले जाकर प्रमुख धुरी पर खुद को कमजोर कर लिया है."
यूक्रेन को उम्मीद थी कि मॉस्को उत्तर में घुसपैठ को रोकने के लिए पूर्व से अपनी कुछ सेनाओं को फिर से तैनात करेगा, लेकिन उसका यह दाव विफल हो गया. शीर्ष यूक्रेनी जनरल अलेक्जेंडर सिर्स्की ने हाल ही में इसे स्वीकार किया था. पुतिन ने कहा कि रूसी सैनिक डोनबास में आगे बढ़ रही हैं. यह मॉस्को की प्राथमिकता है.
इस बीच, यूक्रेनी सैनिकों को बहुत अधिक सैन्य नुकसान उठाना पड़ रहा है." उन्होंने कहा, " हताहतों की संख्या के कारण पूरे यूक्रेन के सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता में कमी आ सकती है." रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक कुर्स्क में यूक्रेन के 9,700 से अधिक लोग हताहत हुए हैं, साथ ही 81 टैंक, दर्जनों अन्य बख्तरबंद वाहन और भारी हथियार भी नष्ट हुए हैं.