Russia-Ukraine War: यूक्रेन में मची तबाही के बीच राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskyy का दावा- मार गिराए 6 हजार रूसी सैनिक

रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज सातवां दिन है. रूसी सेना यूक्रेन में तबाही मचा रही है. कई बड़े शहरों पर रूस की सेना कब्जा कर चुकी है. रिहायशी इलाकों में भी स्थिति भयावह है. रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगातार बमबारी कर रही है. खारकीव में भी यही हालात हैं.

Russia-Ukraine War (Photo: Twitter)

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज सातवां दिन है. रूसी सेना यूक्रेन में तबाही मचा रही है. कई बड़े शहरों पर रूस की सेना कब्जा कर चुकी है. रिहायशी इलाकों में भी स्थिति भयावह है. रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगातार बमबारी कर रही है. खारकीव में भी यही हालात हैं. बमबारी के साथ-साथ ताबड़तोड़ गोलीबारी भी जारी है. इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने कहा कि जंग के पिछले छह दिनों में यूक्रेनी सेना ने रूस के 6 हजार जवानों को मार गिराया है.

जंग के बीच यूक्रेन की सेना का कहना है कि रूसी पैराट्रपर्स उसके दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में उतर गए हैं. रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर पर हमला तेज करते हुए खारकीव में पैराशूट से उतरे हैं, जिसमें मंगलवार को बम विस्फोटों में दर्जनों नागरिक मारे गए थे.

हाल के दिनों में यूक्रेन में देखी गई अधिकांश हिंसा का केंद्र खारकीव रहा है. स्थानीय यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि छोटा दक्षिणी शहर खेरसॉन भी रूसी सेना के हाथों में जा चुका है. खारकीव, सूमी और मारियुपोल के अग्रिम पंक्ति के शहर अभी भी रूसी आक्रमण के खिलाफ हैं. इस बीच, रूसी बख्तरबंद वाहनों का विशाल काफिला अब राजधानी कीव से लगभग 15 मील उत्तर-पश्चिम में है.

यूक्रेन से हो रहा पलायन

संयुक्त राष्ट्र की शारणार्थी मामलों संबंधी एजेंसी के अनुसार, रूसी आक्रमण के बाद से यूक्रेन से लोगों का पलायन यूरोपीय संघ के पूर्वी देशों में तेजी से बढ़ रहा है. अभी तक 675,000 से अधिक लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं और यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त की प्रवक्ता शाबिया मंटो ने मंगलवार को बताया कि ऐसे ही लोग पलायन करते रहे तो, यह इस सदी का यूरोप का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बन सकता है.

बता दें कि यूक्रेन की सरकार ने एक आदेश में 18 से 60 वर्ष की आयु के पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है, ताकि वे सेना की मदद कर पाएं. सिर्फ महिलाओं और बच्चों को देश छोड़ने की इजाजत है.

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