Sri Lankan Violence: श्रीलंकाई हिंसा में 5 की मौत, 200 घायल, नेताओं के घर जलाए गए
श्रीलंका आर्थिक संकट (Photo Credit : Twitter)

कोलंबो, 10 मई : श्रीलंका में जारी हिंसा में एक सांसद सहित कम से कम पांच लोग मारे गए, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए, वहीं कई राजनेताओं के घर को जलाया गया है. सोमवार की रात सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास टेंपल ट्रीज को घेर लिया और उसमें घुसने की कोशिश की. बाद में उन्होंने घर के बाहर खड़े वाहनों को जला दिया.

महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सैन्य कर्मियों को बुलाया गया और पुलिस ने प्रदर्शनकारी प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं. आधी रात को, हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सेना को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं. अधिकारियों द्वारा हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश के कारण एक द्वीप-व्यापी कर्फ्यू को बुधवार सुबह तक बढ़ा दिया गया है. इससे पहले सोमवार को, जीवन यापन की बढ़ती लागत, भोजन, ईंधन, दवा, रसोई गैस सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी के खिलाफ महीनों से चला आ रहा शांतिपूर्ण विरोध उस समय हिंसक हो गया जब महिंदा राजपक्षे ने अपने समर्थकों को बाहरी इलाकों से कोलंबो बुलाया. यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के दिल्ली दौरे के चलते कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार को लेकर अटकलें तेज

सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर लाठियों और पत्थरों से हमला किया, जिसमें 200 से अधिक लोग घायल हो गए. उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के कब्जे वाले टेंटों को भी जला दिया. हिंसा को रोकने के लिए पुलिस ने कोई खास कदम नहीं उठाया. शांतिपूर्ण विरोध स्थलों पर हमलों से क्रोधित होकर, हिंसा जल्दी ही संकटग्रस्त द्वीप राष्ट्र में फैल गई.

सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद अमरकीर्ति अथुकोरला के अंगरक्षक ने कोलंबो के बाहरी इलाके में स्थित निट्टंबुवा शहर में प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी, जिसमें तीन लोग घायल हो गए, वहीं प्रदर्शनकारियों ने सांसद और अंगरक्षक पर हमला कर दिया. बाद में, अथुकोरला और उनके अंगरक्षक के शव एक इमारत में मिले. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने श्रीलंका से राजनीतिक संकट को जल्द खत्म करने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने का आग्रह किया.

प्रधानमंत्री और कई अन्य कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भी, द्वीप राष्ट्र 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक संकट के मद्देनजर राजनीतिक गतिरोध का सामना कर रहा है. राष्ट्रपति ने विपक्ष से सर्वदलीय सरकार बनाने का आग्रह किया था, लेकिन बाद में गोटबाया राजपक्षे के पद छोड़ने तक विपक्ष ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. राष्ट्रपति से इस्तीफा देने की मांग को लेकर सोमवार को ट्रेड यूनियनों ने अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू की.