इस्लामाबाद, 26 फरवरी : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई प्रमुख इमरान खान (Imran Khan) सत्ता से बेदखल होने के बाद से देश में आर्थिक संकट के लिए शहबाज शरीफ सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इमरान दावा कर रहे हैं कि केवल वो ही देश को इस संकट से उबार सकते हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इमरान खान के पास देश को इस संकट से उबारने की कोई योजना है. खान अपने समर्थकों को संबोधित करते रहे हैं कि कैसे उनकी सरकार वित्तीय नीति निर्माण और देश की आर्थिक वृद्धि के मामले में बेहतर काम कर रही थी.
खान ने दावा किया कि शहबाज शरीफ सरकार ने देश को गंभीर आर्थिक संकट में डाल दिया है और इसे पूर्ण वित्तीय ब्लैकआउट की ओर ले जा रही है. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि देश में मौजूदा वित्तीय संकट से बाहर निकलने का खान का रास्ता सीधे तौर पर देश के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी बहाली से जुड़ा हुआ है, वह भी दो-तिहाई बहुमत से. विश्लेषकों का दावा है कि इमरान देश में राजनीतिक स्थिरता लाएंगे और इसे राजनीतिक अनिश्चितता से बाहर निकालेंगे, जो वित्तीय बाजार में प्रचलित वित्तीय अनिश्चितता को प्रभावित करता है और पाकिस्तान के संबंधों में अंतरराष्ट्रीय दाताओं और उधारदाताओं की नजर में प्रभाव डालता है. यह भी पढ़ें : वैश्विक रुझान, घरेलू मोर्चे पर वृहद आंकड़ों से तय होगी बाजार की दिशा
खान ने राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए देश में जल्द आम चुनाव कराने की अपनी मांगों को बार-बार दोहराया है, जिस पर उन्होंने जोर देकर कहा कि वह प्रमुख आधार है, जिस पर देश वित्तीय स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेगा. खान जो मांग करते हैं उसमें कम से कम पांच साल के लिए एक सरकार होनी चाहिए और जनता का एक प्रतिनिधि होना चाहिए. कई लोगों का मानना है कि खान की मांग इस प्रमुख मांग के साथ पूर्व निर्धारित है कि उसे जल्दी चुनाव के माध्यम से सत्ता में वापस लाया जाना चाहिए. यह एक ऐसी मांग है, जो देश में राजनीतिक अशांति फैलाने के खतरे से जुड़ी है. एक राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा, इमरान खान की मांग है कि उन्हें सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा सत्ता में वापस लाया जाना चाहिए, जिन पर वह सत्ता से बेदखल करने और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं.
इमरान खान यह भी कहते हैं कि अगर उन्हें दो-तिहाई बहुमत से सत्ता में नहीं लाया गया, तो देश और अधिक आर्थिक संकट और राजनीतिक अराजकता में डूब जाएगा, जो अपने आप में एक खतरा है. हमने देखा कि जब से इमरान खान को पद से हटा दिया गया, तो उन्होंने सैन्य प्रतिष्ठान को बदनाम करने के लिए सब कुछ किया, पाकिस्तान को पैसा न देने के लिए वैश्विक शक्तियों और उधारदाताओं तक पहुंचें, आईएमएफ से महत्वपूर्ण फंडिंग कार्यक्रम को पुनर्जीवित न करने का आह्वान किया और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर रैलियों की व्यवस्था करने की घोषणा भी की, साथ ही मांग की, कि देश बाढ़-राहत के लिए भी पाकिस्तान को फंड न दें.
खान ने यह भी कहा है कि अगर समय से पहले आम चुनाव कराकर राजनीतिक स्थिरता हासिल नहीं की गई, तो देश की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती जाएगी और ऐसी स्थिति में आ जाएगी, जहां कोई भी देश को चलाने में सक्षम नहीं होगा. और यह गलत नहीं होगा कि देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, राजनीतिक अराजकता के साथ मिलकर निश्चित रूप से पाकिस्तान को दिवालियापन की ओर ले जा रही है. दुर्भाग्य से, सत्ता या विपक्ष में किसी भी राजनीतिक दल के पास देश के डूबते आर्थिक जहाज को बचाए रखने की कोई योजना नहीं है.