दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा का दावा है कि रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति अफ्रीकी नेताओं के साथ शांति वार्ता को तैयार हो गए हैं. दोनों देशों में अफ्रीकी शांति मिशन भी सक्रिय होगा.दक्षिण अफ्रीका की विधायी राजधानी केप टाउन में सिंगापुर के प्रधानमंत्री के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रपति रामाफोसा ने कहा, "दोनों नेताओं के साथ मेरी वार्ता ने यह दिखाया है कि दोनों अफ्रीकी नेताओं के आगमन और इस विवाद को कैसे खत्म किया जाए इस पर बातचीत के लिए तैयार हैं." रामाफोसा ने आगे कहा, "सफलता मिलेगी या नहीं, यह होने वाली बातचीत पर निर्भर है."
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, मॉस्को और कीव में अफ्रीकी मिशन के आगमन के लिए तैयार हैं. अफ्रीकी शांति योजना को सेनेगल, युगांडा, मिस्र, कॉन्गो गणराज्य और जाम्बिया के नेताओं का समर्थन है. रामाफोसा के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन ने भी "सावधानी" के साथ इस योजना का समर्थन किया है. प्रस्तावित शांति वार्ता की जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी दी गई है.
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दक्षिण अफ्रीका को अफ्रीकी महाद्वीप में रूस का सबसे निकट साझेदार माना जाता है. यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर मतदान के दौरान दक्षिण अफ्रीका भी मौजूद नहीं रहा. इन समीकरणों के बावजूद रामाफोसा का कहना है कि अफ्रीकी शांति योजना निष्पक्ष है.
यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया के कई देश महंगे ईंधन और अनाज की कमी का सामना कर रहे हैं. अफ्रीका के कई देशों पर इसकी सबसे ज्यादा चोट पड़ रही है. यूक्रेन युद्ध के चलते शुरू हुई महंगाई श्रीलंका, लेबनान और पाकिस्तान जैसे देशों की आर्थिक हालत खस्ता कर चुकी है.
यूक्रेन का रुख
अफ्रीकी नेताओं की प्रस्तावित शांति योजना के प्रमुख बिंदु अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. यूक्रेन लगातार कहता आ रहा है कि किसी भी शांति समझौते तक पहुंचने के लिए रूसी सेना को यूक्रेन से पूरी तरह बाहर निकलना होगा. 24 फरवरी 2022 को रूसी सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर के यूक्रेन में दाखिल हो गई. तब से युद्ध जारी है.
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यूक्रेन को मिल रहे पश्चिमी हथियारों के चलते रूसी सेना की स्थिति कमजोर पड़ने लगी है. तीन दिन की यूरोप यात्रा के बाद कीव लौटे यूक्रेनी राष्ट्रपति के मुताबिक रूसी सेना के खिलाफ पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई की जाएगी. इस बीच यूक्रेन के अमेरिकी टैंक और पश्चिमी लड़ाकू विमान मिलने का रास्ता भी साफ हो चुका है. अमेरिका से टैंकों का पहला बेड़ा अटलांटिक महासागर पारकर जर्मनी पहुंच गया है. जर्मनी में ट्रेनिंग के बाद यूक्रेन के अबराम टैंक सौंपे जाएंगे.
शांति प्रस्तावों का हाल
यह पहला मौका नहीं है जब यूक्रेन युद्ध को शांत कराने के लिए कोई योजना सामने आई है. तुर्की और चीन भी ऐसी कोशिशें कर चुके हैं. तुर्की ने पिछले साल अनाज के मामले में दोनों पक्षों को एक मेज पर लाने में सफलता पाई थी. हालांकि मामला अनाज डील से आगे नहीं बढ़ सका.
वहीं यूक्रेन युद्ध शुरू होने के ठीक एक साल बाद चीन ने 12 सूत्रीय प्रस्ताव पेश कियाथा. हालांकि बीजिंग के प्रस्ताव में पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा गया कि "एकतरफा प्रतिबंधों का दुरुपयोग बंद करना चाहिए" और "यूक्रेन संकट को शांत करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए."
रूस और यूक्रेन का नाम लिए बिना चीन के शांति प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी देशों की संप्रभुता बरकरार रखी जानी चाहिए.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)