माले: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मालदीव के निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए. सोलिह ने सितंबर में हुए चुनावों में कद्दावर अब्दुल्ला यमीन को शिकस्त दी थी. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम के बगल में बैठे थे। समारोह में श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग भी शामिल हुईं. राष्ट्रीय स्टेडियम में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी ने मालदीव और दुनिया के अन्य देशों के नेताओं से बातचीत की.
विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सोलिह (54) 23 सितंबर को हुए चुनावों में सबको चौंकाते हुए विजेता बने थे और उन्होंने तब राष्ट्रपति रहे यमीन को हराया था. मालदीव की राजधानी पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत किया गया और नई मालदीवी संसद के अध्यक्ष कासिम इब्राहिम ने उनकी अगवानी की. प्रधानमंत्री के तौर पर यह मोदी का पहला मालदीव दौरा है। इससे पहले 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की यात्रा की थी. यह भी पढ़े: मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद का बयान, देश बीजिंग नहीं भारत के साथ रिश्ते में सुधार चाहता है
Congratulations to Mr. @ibusolih on taking oath as the President of the Maldives.
Wishing him the very best for his tenure ahead.
Looking forward to working with him to strengthen bilateral relations between our nations. pic.twitter.com/HryxQQMadt
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2018
मोदी ने अपने दौरे से पहले कई ट्वीट करके कहा, ‘‘मैं श्रीमान सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीव की नई सरकार को उसके साथ मजबूती से मिलकर काम करने की भारत सरकार की इच्छा से अवगत कराउंगा जिससे वह खासकर आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य देखभाल, संपर्क और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में विकास की अपनी प्राथमिकताओं को अंजाम दे सकें. यह भी पढ़े: मालदीव के नए राष्ट्रपति बने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, भारत के साथ रिश्ते होंगे बेहतर?
उन्होंने कहा कि मालदीव में हुए हालिया चुनाव लोगों की लोकतंत्र, कानून के शासन और समृद्ध भविष्य के लिये साझा अकांक्षा को प्रदर्शित करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी इच्छा स्थायी, लोकतांत्रिक, समृद्ध और शांतिपूर्ण मालदीव गणराज्य देखने की है.’’ भारत और मालदीव के संबंधों में पूर्ववर्ती यमीन के शासन के दौरान तनाव देखने को मिला था क्योंकि उन्हें चीन का करीबी माना जाता है.भारतीयों के लिये कार्यवीजा पर पाबंदी लगाने और चीन के साथ नये मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी भारत खुश नहीं था.