नीदरलैंड के एक थिंक-टैंक का मानना है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की अगले सप्ताह पेरिस में होने वाली बैठक में एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) द्वारा तीखी नाराजगी के बाद भी पाकिस्तान (Pakistan) के ग्रे सूची (Grey List) में बने रहने की संभावना है. यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने कहा, "इस बात में संदेह है. पाकिस्तान वास्तव में एफएटीएफ की आवश्यकताओं का पालन करने के प्रति गंभीर नहीं है." ईएफएसएएस ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा झूठे दावे किए गए हैं कि उसने आतंकवाद को प्रायोजित करने पर लगाम कसी है.
कहा गया है कि पाकिस्तान निश्चित रूप से ग्रे सूची में बना रहेगा, क्योंकि उसके द्वारा इस सूची से खुद को बाहर निकालने के लिए आवश्यक 15 वोट हासिल करना बहुत मुश्किल है. इस तरह से उसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. ईएफएसएएस ने कहा, "अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करने और अपने नकली मुद्रा कारखानों व नेटवर्क के माध्यम से इसे आर्थिक मदद देने के अपने इसी रास्ते पर रहता है तो उसकी स्थिति और भी खराब हो जाएगी."
थिंक-टैंक ने कहा, "पाकिस्तानी अधिकारियों ने एपीजी को उन उपायों से अवगत कराया, जिनके बारे में उसका दावा है कि उन्होंने संदिग्ध लेनदेन और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने का काम किया है. इसके अलावा पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने अवैध संगठनों और समूहों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है. उसे हालांकि एपीजी को समझाने में बहुत कम सफलता मिली." यह भी पढ़ें- पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए FATF को दस्तावेज सौंपेगा भारत, कार्रवाई हुई तो चौपट हो जाएगी पाक की अर्थव्यवस्था.
दरअसल, एपीजी द्वारा पाकिस्तान के लिए तैयार की गई म्यूचुअल इवोलुशन रिपोर्ट (एमईआर) दो अक्टूबर को जारी की गई थी. यह 228 पेज की रिपोर्ट पाकिस्तान द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर आधारित है. साथ ही पिछले साल अक्टूबर में एपीजी मूल्यांकन टीम द्वारा क्षेत्र का दौरा भी किया गया था.