पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा- कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं
शाह महमूद कुरैशी (Photo Credits: Facebook)

भारत (India) द्वारा जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) का विशेष दर्जे खत्म करने पर भारत-पाकिस्तान में व्याप्त तनाव के बीच पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने कहा है कि कश्मीर मुद्दा (Kashmir Issue) सुलझाने के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है. कुरैशी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) बार-बार कश्मीर को लेकर भारत के साथ परमाणु युद्ध की संभावना को ले कर धमकी देते रहे हैं. इस मामले का अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का उनका प्रयास ज्यादा समर्थन हासिल करने में विफल रहा. भारत ने अपने आंतरिक मुद्दों पर ‘‘गैरजिम्मेदाराना बयान” देने और उकसाने वाली भारत विरोधी बयानबाजी के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की है. भारत ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना उसका आंतरिक मामला है.

शनिवार को प्रकाशित बीबीसी उर्दू के साथ एक साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी आक्रामक नीति नहीं अपनाई और हमेशा शांति को तरजीह दी. पाकिस्तान की वर्तमान सरकार ने बार-बार भारत को बातचीत शुरू करने की पेशकश की है क्योंकि दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश जंग में जाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने जोर दिया कि युद्ध कश्मीर मुद्दे से निपटने का विकल्प नहीं है. उन्होंने दोहराया कि कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है और यह बस पाकिस्तान और भारत के बीच कोई द्विपक्षीय मामला नहीं है. यह भी पढ़ें- पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का बयान, कहा- भारत के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने पर अभी कोई फैसला नहीं.

गौरतलब है कि भारत ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द कर दिया और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया. गुरुवार को न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक आलेख में, प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर से चेतावनी दी कि अगर दुनिया ने कश्मीर पर भारत के फैसले को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, तो दो परमाणु-हथियार संपन्न देश ‘‘प्रत्यक्ष सैन्य टकराव’’ के करीब पहुंच जाएंगे. खान ने कहा कि जब वह पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री चुने गए थे, तो उनकी बड़ी प्राथमिकताओं में से एक दक्षिण एशिया में शांति कायम करने के लिए काम करना था.