जर्मनी: धुर-दक्षिणपंथी पार्टी की युवा शाखा पर प्रतिबंध की आशंका क्यों

जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की युवा ईकाई यंग ऑल्टरनेटिव पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की युवा ईकाई यंग ऑल्टरनेटिव पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है. आखिर यह संगठन जर्मनी में क्या कर रहा है?अन्ना लाइस्टेन हंसमुख, युवा और कट्टर हैं. बीते कुछ समय से जो तस्वीरें उन्होंने इंस्टाग्राम पर डाली हैं, उनसे तो कम-से-कम यही लगता है. वह जर्मनी की 'युंगे अल्टरनाटिव' (यंग ऑल्टरनेटिव) के जाने-माने चेहरों में से एक हैं. यह पार्टी 'ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) की युवा ईकाई है. लाइस्टेन का सोशल मीडिया प्रोफाइल बताता है कि वह एक "प्यारी सी लड़की से लेकर सख्त सैनिक" तक, कुछ भी हो सकती हैं.

ब्रांडनबुर्ग की 23 साल की यह युवती अपने राजनीति संदेश ऐसी तस्वीरों के जरिए डालती है, जिन्हें देख कर किसी हानि का अंदेशा नहीं होता. उदाहरण के लिए, अपना बायां हाथ उठा कर वह श्वेतों की ताकत दिखाती हैं. यह वो निशान है, जिसे कट्टर दक्षिणपंथियों और नव-नाजियों ने अपनाया है. यह वही निशान है, जो धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथी और क्राइस्टचर्च के बंदूधारी ब्रेनटन टेरांट ने अदालत में दिखाया था.

एक और तस्वीर में लाइस्टेन, गोएत्स कुबिचेक की ओर देखती नजर आती हैं. गोएत्स जर्मनी के सबसे कुख्यात धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथी और लोकतंत्र विरोधी "कंजर्वेटिव रेवॉल्यूशन" के पैरोकार हैं.

लाइस्टेन की एक और तस्वीर है, जिसमें वह कीचड़ के बीच कांटेदार तारों के नीचे से गुजर रही हैं और उनके चेहरे पर जंग की थकान है. नीचे कैप्शन में लिखा है, "बूट कैंप इस्टर्न फ्रंट 2025." साफ है कि यंग ऑल्टरनेटिव युद्ध का सपना देख रहा है.

'यंग ऑल्टरनेटिव साफ तौर पर एक चरमपंथी अभियान है'

लाइस्टेन हर उस चीज को साकार करती नजर आती हैं, जिनके लिए यंग ऑल्टरनेटिव जाना जाता है. यह गुट जर्मनी में अतिवादी बदलाव की वकालत करता है. इसमें हर उस चीज को जो "जातीय तौर पर विदेशी" है, उसे जहां तक संभव है बाहर कर देने का विचार है. इसी कारण का हवाला देते हुए फरवरी में कोलोन की एक प्रशासनिक अदालत ने फैसला दिया, "यंग ऑल्टरनेटिव स्पष्ट तौर पर एक चरमपंथी संगठन है."

इस फैसले में यह भी कहा गया कि इस गुट का जातीय आधार पर लोगों में अंतर करना, जर्मनी के मूलभूत कानून के अनुच्छेद 1 का उल्लंघन है. इसके मुताबिक, इंसानी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता.

अदालत ने खासतौर से यह पाया है कि संगठन, " विदेशी विरोधी और उसमें भी विशेष रूप से इस्लाम विरोधी और प्रवासी विरोधी आंदोलनों में बड़े पैमाने पर शामिल है." फैसले में इस ओर भी ध्यान दिलाया गया कि यह संगठन शरण मांगने वालों और प्रवासियों को अपराधी, मुफ्तखोर करार देकर या फिर किसी अन्य तरीके से अपमानित करता है.

ट्रियर यूनिवर्सिटी की अन्ना सोफी हाइंज ने यंग ऑल्टरनेटिव गुट पर विस्तृत अध्ययन किया है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि कैसे पार्टी और इस युवा गुट के बीच संबंध बीते समय में मजबूत हुए हैं.

हाइंज का कहना है, "आमतौर पर युवा कैडरों को ट्रेनिंग देने और नए विचारों के विकास में यंग ऑल्टरनेटिव की एक अहम भूमिका है. युवाओं को सिर्फ चुनाव के दौरान ही पार्टी के साथ नहीं जोड़ा जाता है. ये मजबूती से ऑनलाइन रूप में मौजूद हैं." कुल मिला कर हाइंजे का मानना है कि यह युवा ईकाई, "एएफडी के कट्टरता अभियान का एक प्रमुख चालक है."

अब तो यंग ऑल्टरनेटिव के कई प्रमुख सदस्य और समर्थक जर्मनी की राष्ट्रीय संसद और राज्य की विधानसभाओं में एएफडी के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंच चुके हैं. इनमें से एक हैं डॉर्टमुंड के माथियास हेल्फेरिष, जो संसद के निचले संदन बुंडेस्टाग में हैं.

अंदरूनी बातचीत में हेल्फेरिष ने एक बार खुद को "नेशनल सोशलिज्म का एक दोस्ताना चेहरा" कहा था. हेल्फेरिष उसी नाजी पार्टी की बात कर रहे थे, जिसने 60 लाख यूरोपीय यहूदियों की व्यवस्थित तरीके से "जीने के लिए अयोग्य" बताकर हत्या कर दी थी. यंग ऑल्टरनेटिव, हेल्फेरिष को "भविष्य के रिमाइग्रेशन मंत्री" या उस आदमी के रूप में देखता है, जो बड़ी संख्या में लोगों को जर्मन सीमाओं से बाहर निकालेंगे.

विरोध के खिलाफ यंग ऑल्टरनेटिव और एएफडी का सहयोग

यंग ऑल्टरनेटिव के राष्ट्रीय प्रवक्ता हानेस गनॉक भी संसद के सदस्य हैं. वह जर्मन सेना के स्टाफ सार्जेंट भी हैं, हालांकि जर्मनी की मिलिट्री काउंटरइंटेलिजेंस सर्विस ने 'संविधान के प्रति आस्था में कमी की वजह' से उन्हें सेवा से छुट्टी दे दी है.

गनॉक की इन दिनों भारी आलोचना हो रही है. 10 जनवरी को मीडिया में दक्षिणपंथियों के जमावड़े की खबरें आईं. बताया गया कि इस बैठक में गैर-जर्मन या गैर-सम्मिलित समझे जाने वाले लोगों को बड़ी संख्या में जर्मनी से बाहर निकालने की योजना बनाने पर भी बात हुई. इसे ही "रिमाइग्रेशन" कहा जा रहा है. इसके बाद पूरी जर्मनी में लाखों लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. धुर-दक्षिणपंथियों के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन पहले कभी नहीं हुए.

हालांकि गनॉक जैसे चरमपंथी इससे चुप नहीं हुए हैं. इन घटनाओं के बाद जनवरी में ही यंग ऑल्टरनेटिव के यूट्यूब चैनल पर आकर उन्होंने दावा किया कि "दक्षिण के खिलाफ संघर्ष" वास्तव में हमारे खिलाफ, जर्मन लोगों के खिलाफ संघर्ष है.

यंग ऑल्टरनेटिव और एएफडी में कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ प्रतिरोध का सामना करने के लिए वे समर्थकों से आपस में जुड़ने की मांग रखते हैं. उनकी दलील है, "हमें ऐसी मानसिकता विकसित करने की जरूरत है जो कहे कि इस मकसद के लिए काम करने वाले पर हमला हम सबके खिलाफ हमला है."

ऐसा लग रहा है कि यह कथित आपस में जुड़ाव अच्छा काम कर रहा है. लाइस्टेन जैसे लोगों को श्वेतों के वर्चस्व वाले हाथ के निशान दिखाने के लिए फटकार लगाई गई, लेकिन उससे आगे कुछ नहीं हुआ. बहुत से पार्टी के नेता खुले तौर पर इन कट्टर युवाओं के प्रति समर्थन जता रहे हैं. इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पूरी पार्टी, युवा और पुराने सदस्य सभी इन कट्टर मान्यताओं में यकीन रखते हैं.

क्या अब यंग ऑल्टरनेटिव पर प्रतिबंध लगेगा?

कोर्ट ने कहा है कि यंग ऑल्टरनेटिव एक "स्पष्ट चरमपंथी" है. ऐसे में इस पर प्रतिबंध लगाने की बहस को हवा मिल गई है. प्रतिबंध लगाना बहुत आसान है क्योंकि यह युवा गुट एएफडी का महज एक सहयोगी है. राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अदालतों के जिस फैसले की जरुरत होती है, वह उनके सहयोगियों के लिए जरूरी नहीं है. संघीय गृह मंत्रालय के एक सामान्य से अध्यादेश भर से यह काम हो जाएगा.

बहुत से जर्मन कानून के विशेषज्ञों का मानना है कि इस गुट को प्रतिबंधित करने के लिए कानूनी कार्रवाई पर विचार करना उचित रहेगा, हालांकि उन्होंने कुछ चिंता भी जताई है. बुंडेसवेयर यूनिवर्सिटी में सार्वजनिक कानून की प्रोफेसर काथरीन ग्रोह ने अपने संवैधानिक ब्लॉग में एक आर्टिकल छापा है. इसमें दलील दी गई है, "एएफडी को चेतावनी देने के लिए, उसके युवा गुट को निशाना बनाना और सहयोग को प्रतिबंधित करना उचित रहेगा."

हालांकि उनका यह भी मानना है कि एएफडी को इससे इतना बड़ा नुकसान होगा कि पार्टी इस प्रतिबंध को कानूनी चुनौती देगी और उसकी सफलता के भी पर्याप्त आसार हैं. वह चेतावनी देती हैं, "अगर प्रतिबंध नाकाम हुआ, तो यह केवल एएफडी के खुद को पीड़ित दिखाने की प्रवृत्ति को ही मजबूत नहीं करेगा, बल्कि लोकतंत्र की आत्मरक्षा के उपायों में भारी कमी को भी सामने रख देगा."

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