जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने यूक्रेन को हथियारों की बड़ी खेप देने का वादा किया है. उन्होंने यूक्रेन को भरोसा दिलाया कि जर्मनी जो कहता है, वही करता है.जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स करीब ढाई साल बाद यूक्रेन पहुंचे हैं. सोमवार, 2 दिसंबर को राजधानी कीव में शॉल्त्स ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की.
इस मौके पर शॉल्त्स ने यूक्रेन को करीब 68 करोड़ यूरो की कीमत के हथियारों की खेप देने की घोषणा की. ये हथियार दिसंबर के आखिर तक दे दिए जाएंगे. इनमें दो आयरिस-टी एयर डिफेंस सिस्टम, 10 लेपर्ड 1ए5 युद्धक तोपें, 60 एम-84 और एम80 लड़ाकू वाहन, 6,000 अनगाइडेड और 500 गाइडेड मिसाइलें शामिल होंगे.
शॉल्त्स ने कहा, "मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जर्मनी समूचे यूरोप में यूक्रेन का सबसे मजबूत समर्थक बना रहेगा." उन्होंने अपनी यात्रा को एकजुटता का संकेत बताते हुए कहा कि यूक्रेन 1,000 से ज्यादा दिनों से "रूस के बेरहम युद्ध के खिलाफ साहसी तरीके से" अपनी रक्षा कर रहा है. उन्होंने आश्वासन दिया, "यूक्रेन, जर्मनी पर भरोसा कर सकता है. हम वही कहते हैं, जो हम करते हैं. और, हम वही करते हैं जो हम कहते हैं."
शॉल्त्स के दौरे की घोषणा नहीं की गई थी
शॉल्त्स 2 दिसंबर की सुबह खास अंदाज में कीव पहुंचे. उन्होंने यात्रा के लिए रेलवे को साधन चुना. एक खास ट्रेन में करीब नौ घंटे की यात्रा करके वो कीव के रेलवे स्टेशन पर उतरे. जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार, सुरक्षा कारणों से शॉल्त्स के इस दौरे की जानकारी पहले सार्वजनिक नहीं की गई थी.
बातचीत के बाद शॉल्त्स और जेलेंस्की कीव के एक अस्पताल पहुंचे. यहां शॉल्त्स युद्ध में घायल यूक्रेनी सैनिकों से मिले. इसके बाद शॉल्त्स ने यूक्रेनी सेना के जवाबी अभियान में रूस के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोनों की एक प्रदर्शनी देखी. इनमें जर्मन रक्षा कंपनी 'हेलजिंग' का बनाया एक ड्रोन भी शामिल है, जो खासतौर पर रूसी बख्तरबंद गाड़ियों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है.
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शॉल्त्स पिछली बार जून 2022 में यूक्रेन गए थे. वह बतौर चांसलर यूक्रेन का उनका पहला दौरा था. इस यात्रा में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री मारियो द्रागी भी उनके साथ थे.
पुतिन को फोन करने पर हुई शॉल्त्स की आलोचना
इससे पहले 15 नवंबर को खबर आई कि चांसलर शॉल्त्स ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की है. फोन शॉल्त्स ने किया था और दोनों नेताओं में करीब एक घंटे बात हुई. जर्मन सरकार की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि शॉल्त्स फोन करने वाले हैं, यह जानकारी जेलेंस्की को पहले ही दे दी गई थी.
इससे पहले 2022 के आखिर में पुतिन और शॉल्त्स की फोन पर बात हुई थी. इतने दिनों बाद शॉल्त्स का पुतिन को फोन करना काफी विवादों में रहा. शॉल्त्स की काफी आलोचना हुई. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि यह युद्ध खत्म कर यूक्रेन में न्यायपूर्ण शांति लाने की कोशिशों को कमजोर करेगा.
कई विशेषज्ञों ने कहा कि शॉल्त्स इस कॉल से क्या हासिल करना चाहते थे, यह समझ से परे है. वहीं, कई विश्लेषकों ने इसे अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के मद्देनजर जर्मनी की उथल-पुथल से जोड़कर देखा.
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शॉल्त्स और जेलेंस्की के बीच पहले भी असहमतियां रही हैं. इन असहमतियों में लंबी दूरी तक वार करने वाले जर्मन मिसाइलों की डिलिवरी भी शामिल है. शॉल्त्स इसके पक्ष में नहीं हैं. वहीं, यूक्रेन का कहना है कि रूसी सेना को पीछे करने के लिए उसे मिसाइलों की जरूरत है.
शॉल्त्स का कार्यकाल तकरीबन यूक्रेन युद्ध के समानांतर रहा है. वह यूक्रेन पर अपनी नीतियों में काफी संतुलन बनाकर रखते आ रहे हैं. एक ओर जहां यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता बनाने वालों में उनकी अहम भूमिका रही है, वहीं वह इस पक्ष पर भी मुखर रहे हैं कि जर्मनी और नाटो को सीधे-सीधे इस युद्ध में पक्ष नहीं बनना चाहिए.
जर्मनी की घरेलू राजनीति और यूक्रेन युद्ध
बतौर चांसलर शॉल्त्स की मौजूदा पारी खत्म हो रही है. फरवरी में मध्यावधि चुनाव होना है. चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को देखें, तो शॉल्त्स का दोबारा चांसलर बनना संभव नहीं दिख रहा है. जनवरी 2025 में अमेरिका में भी शासन बदलेगा और डॉनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनेंगे. ट्रंप यूक्रेन को दी जा रही आर्थिक सहायता जारी रखने के बहुत पक्षधर नहीं हैं.
फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक कीव को आर्थिक सहायता देने वाले देशों में जर्मनी दूसरे स्थान पर है. समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार, फरवरी 2022 से अब तक जर्मनी, यूक्रेन को 2,800 करोड़ यूरो की कीमत के हथियारों व सैन्य उपकरणों की या तो आपूर्ति कर चुका है या देने का संकल्प कर चुका है.
यूक्रेन को सहायता देने में अमेरिका पहले नंबर पर है. 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' के एक लेख के अनुसार, दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप के पुनर्निर्माण के तहत लाए गए 'मार्शल प्लान्स' के बाद से यह पहला मौका है जब कोई यूरोपीय देश अमेरिका की ओर से दी जा रही विदेशी मदद पाने में पहले नंबर पर हो. ट्रंप के आने पर अगर अमेरिकी आर्थिक सहायता कम होती या रुकती है, तो जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों के लिए बड़ी मुश्किल स्थिति होगी. इसके अलावा जर्मनी की घरेलू राजनीति भी इस पक्ष को प्रभावित करेगी.
आगामी चुनाव में मुख्य विपक्षी दल सीडीयू-सीएसयू के चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने यूक्रेन को सहायता देने के मामले में "बहुत ज्यादा हिचक दिखाने और सतर्कता" बरतने के लिए शॉल्त्स की आलोचना की है. शॉल्त्स के नेतृत्व में गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी भी शॉल्त्स की इन्हीं मुद्दों पर आलोचना करती है. शॉल्त्स यूक्रेन को टॉरस मिसाइल ना देने पर अडिग रहे हैं.
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सीडीयू के नेता मैर्त्स ने संकेत दिया है कि अगर यूक्रेनी नागरिकों पर रूस के हमले नहीं रुकते हैं, तो कीव को टॉरस मिसाइल देकर रूस को चेतावनी दी जा सकती है. शॉल्त्स ने इस रुख पर मैर्त्स की आलोचना करते हुए कहा, "मैं बस इतना कह सकता हूं कि सावधान रहिए. आप जर्मनी की सुरक्षा के साथ रशियन रुले नहीं खेल सकते हैं."
इन मुख्यधारा के दलों से अलग जर्मनी की तेजी से उभरती दो पार्टियां यूक्रेन को मदद देने और रूस पर प्रतिबंध लगाने की विरोधी हैं. ये दोनों दल हैं: धुर-दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) और पॉपुलिस्ट पार्टी जारा वागनक्नेष्ट अलायंस (बीएसडब्ल्यू).
एसएम/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स, एपी)