जर्मन सरकार अलग-अलग क्षेत्रों में हजारों लोगों को भर्ती करने के लिए विदेशी कर्मचारियों को टैक्स में छूट देने की योजना बना रही है. यह नीति थोड़ी विवादास्पद है, लेकिन यूरोप में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है.जर्मनी की सरकार ने पिछले हफ्ते अपनी तथाकथित नई 'विकास पहल' के तहत विदेशी कुशल श्रमिकों के लिए टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव दिया है. अगर ये लोग जर्मनी में नौकरी करते हैं, तो उन्हें पहले तीन साल तक अपनी कमाई पर 30 फीसदी, 20 फीसदी और 10 फीसदी तक कम टैक्स देना होगा. इसका मतलब यह है कि नौकरी के शुरुआती तीन साल में उनकी आमदनी पर लगने वाला टैक्स इन अनुपातों में कम रहेगा. हालांकि, छूट से जुड़ी सबसे कम और सबसे ज्यादा कमाई की सीमा तय नहीं हुई है.
योजना के तहत, पांच साल बाद इन उपायों की समीक्षा की जाएगी. जर्मन श्रमिक संघों ने इसकी काफी आलोचना की है और इसे 'दो वर्गों के लिए अलग-अलग टैक्स' वाली योजना बताया है. हालांकि, इस योजना के समर्थकों का मानना है कि इससे जर्मनी में नौकरी करना विदेशियों के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाएगा.
जर्मनी में आर्थिक मामलों के मंत्री रोबर्ट हाबेक ने जर्मन अखबार 'हांडेल्सब्लाट' को बताया कि कुशल श्रमिक कम टैक्स वाले देशों को ज्यादा पसंद करते हैं, जैसे स्कैंडिनेविया के देश. ऐसे में जर्मनी को भी इस तरह के उपायों से लोगों को आकर्षित करने की कोशिश करनी चाहिए.
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जर्मन संसद ने 2018 में एक अध्ययन करवाया था. इससे पता चलता है कि उस समय यूरोपीय संघ के 15 देशों ने विदेशियों को टैक्स में छूट देने वाले नियम लागू किए थे. इनमें नीदरलैंड्स, ग्रीस, क्रोएशिया, साइप्रस, इटली, स्पेन और पुर्तगाल शामिल थे.
पुर्तगाल और स्पेन
पुर्तगाल साल 2009 से ही विदेशी लोगों को टैक्स में लाभ दे रहा है. यह कुशल कामगारों को आकर्षित करने, देश को कर्ज के संकट से उबारने और उत्पादन बढ़ाने की उनकी योजना का हिस्सा है.
उदाहरण के लिए, उच्च आय वाले व्यक्ति और दुनिया के किसी भी कोने से काम कर सकने वाले फ्रीलांसर को 10 साल तक अपनी पूरी कमाई पर सिर्फ 20 फीसदी टैक्स देना होता है. इसके विपरीत, पुर्तगाल के नागरिकों को 14.5 से लेकर 48 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता है. 20 फीसदी टैक्स से जुड़ी शर्त को पूरा करने के लिए श्रमिकों को हर साल छह महीने से अधिक पुर्तगाल में काम करना और रहना होता है. हालांकि, पेंशन और पूंजीगत निवेश से कमाई जैसे लाभांश को 20 फीसदी वाले नियम से बाहर रखा गया है.
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से जमा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में पुर्तगाल में 20 फीसदी वाली टैक्स योजना से लगभग 74,000 विदेशियों को फायदा हुआ.
अक्टूबर 2023 में पुर्तगाल की पिछली सरकार ने देश में बढ़ती संपत्ति की कीमतों के लिए इस योजना को जिम्मेदार ठहराया था और वादा किया था कि 2024 में नए आवेदकों के लिए टैक्स छूट की इस योजना को बंद कर दिया जाएगा. वहीं, इस महीने की शुरुआत में नई पुर्तगाली सरकार ने कहा कि वह इस योजना को फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है.
पुर्तगाल के पड़ोसी देश स्पेन में विदेशियों के लिए विशेष टैक्स की दर 24 फीसदी है, लेकिन यहां उनकी पूरी कमाई पर एक समान टैक्स है.
इटली
इटली में आयकर भरना काफी जटिल होता है, चाहे आप यहां के नागरिक हों या विदेशी नागरिक. हालांकि, विदेशी नागरिक कुछ टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने समय से देश में रह रहे हैं और कितनी कमाई करते हैं. साथ ही, उनके कितने बच्चे हैं और उनकी उम्र क्या है.
'इटाक्सा ब्लॉगपोस्ट' टैक्स से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों को सरल भाषा में समझाने का दावा करता है. इस ब्लॉगपोस्ट के मुताबिक, 'अनुकूल परिस्थितियों' में विदेशी लोग अपनी 90 फीसदी कमाई पर टैक्स नहीं दे सकते हैं.
स्वीडन और डेनमार्क
स्कैंडिनेविया के ये दो देश कम टैक्स के लिए नहीं जाने जाते हैं. हालांकि, वहां भी विदेशी नागरिकों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं. स्वीडन में विदेशी कामगारों की कुल आय के 25 फीसदी हिस्से पर टैक्स नहीं लगता है. यहां की सरकार ने इस साल 10 हजार यूरो प्रति माह से ज्यादा कमाने वाले लोगों के लिए टैक्स में छूट की अवधि को पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष कर दिया है.
जर्मनी के मानहाइम में मौजूद 'जेडईडब्ल्यू-लाइबनित्स सेंटर फॉर यूरोपियन इकोनॉमिक रिसर्च' के एक अध्ययन में पाया गया है कि स्वीडन का इनकम टैक्स मॉडल, विदेशी कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने में 'प्रभावी' रहा. हालांकि, इस नीति का नकारात्मक असर 'स्वीडन से प्रतिभा का पलायन' के तौर पर देखने को मिला.
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डेनमार्क के नागरिक अपने वेतन के हिसाब से आयकर देते हैं. सबसे ज्यादा टैक्स ब्रैकेट में आने वाले व्यक्ति को अपने वेतन का 53 फीसदी तक हिस्सा सरकार को टैक्स के तौर पर देना पड़ता है.
वहीं, 10 हजार यूरो प्रति माह से ज्यादा कमाने वाले विदेशियों के लिए ऐसा नहीं है. उनके लिए टैक्स की अधिकतम दर 32.84 फीसदी पर सीमित है, भले ही उनकी कमाई कितनी भी हो. डेनमार्क में अपने रोजगार के पहले सात वर्षों के दौरान उच्च योग्यता वाले विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को और भी कम टैक्स देना पड़ता है. इसमें सिर्फ 27 फीसदी टैक्स और सामाजिक बीमा योगदान शामिल होता है.
नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स की सरकार भी अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए दुनिया भर से उच्च प्रशिक्षित लोगों को आकर्षित करने में लगी हुई है. यहां पहले से ही 30 फीसदी छूट वाला नियम लागू है, जिसके तहत विदेशियों को करीब एक तिहाई आमदनी पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता है.
इसका उद्देश्य विदेशी कर्मचारियों और नीदरलैंड्स के नागरिकों के बीच टैक्स से जुड़ी असमानता को दूर करना है. नीदरलैंड्स के नागरिक टैक्स में छूट पाने के लिए कई तरह का दावा कर सकते हैं, लेकिन विदेशी नागरिक ऐसा नहीं कर सकते हैं.
जर्मनी के विपरीत, नीदरलैंड्स की आयकर व्यवस्था में कोई टैक्स ब्रैकेट नहीं है कि लोग अपनी कमाई के हिसाब से अपने-आप किसी टैक्स श्रेणी में आ सकें. यहां न्यूनतम और अधिकतम वेतन की सीमा के हिसाब से टैक्स देना होता है. साथ ही, टैक्स योग्य आमदनी को कम करने के भी कई तरीके हैं. इससे इस सिस्टम को समझना नीदरलैंड्स के लोगों के लिए भी मुश्किल हो जाता है.
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पिछले साल, नीदरलैंड्स की सरकार ने तथाकथित 'एक्सपैट टैक्स रिजीम' के तहत मिलने वाले कुछ फायदों में कटौती की थी और विदेशी कामगारों के लिए जीवन थोड़ा मुश्किल बना दिया.
नीदरलैंड्स का टैक्स सिस्टम काफी जटिल है. इससे पता चलता है कि इसका उद्देश्य कभी भी वित्तीय लाभ देकर विदेशियों को आकर्षित करना नहीं था. जबकि, जर्मनी वित्तीय लाभ देकर विदेशियों को आकर्षित करना चाहता है. नीदरलैंड्स की सरकार चाहती है कि विदेशी सिर्फ कुछ सीमित समय के लिए ही उनके देश में आएं.