कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक दूसरे पर साधा निशाना
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग (Photo Credits: Twitter)

न्यूयॉर्क: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी पर चर्चा करने के लिए गुरुवार देर रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की पहली बैठक हुई. विश्व निकाय की इस शीर्ष संस्था में दुनिया पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को लेकर अमेरिका (US) और चीन (China) आमने-सामने दिखे. यूएनएससी (UNSC) में चर्चा के दौरान अमेरिका ने विज्ञान आधारित डेटा संग्रह और वायरस की उत्पत्ति, विशेषताओं और प्रसार का विश्लेषण करने पर बल दिया. जो चीन को रास नहीं आया. दरअसल चीन का वुहान (Wuhan) शहर ही जानलेवा कोविड-19 (COVID-19) का जनक माना जा रहा है.

यूएनएससी में चर्चा के दौरान अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट (Kelly Craft) ने कहा “संयुक्त राज्य अमेरिका आज फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भीतर पूरी पारदर्शिता और समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा और सूचनाओं को साझा करने की आवश्यकता को दोहराता है. इस महामारी को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका विज्ञान आधारित सटीक डेटा संग्रह और वायरस की उत्पत्ति, विशेषताओं और प्रसार का विश्लेषण है. कोविड-19 संबंधी शुरुआती जानकारी छुपाने से चीन का इंकार, डब्ल्यूएचओ प्रमुख का बचाव किया

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, चीन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत झांग जून (Zhang Jun) ने सुरक्षा परिषद से कहा कि उसे दोषारोपण और राजनीतिकरण संबंधित हर चीज को अस्वीकार करना चाहिए.

कोरोना वायरस महामारी पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पहली बैठक ऐसे समय में हो रही है जब इस संक्रमण की चपेट में आकर दुनियाभर में 90 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. दुनियाभर के 200 से अधिक देशों में कोविड-19 से 95 हजार से अधिक लोग संक्रमित है. डब्ल्यूएचओ प्रमुख कोविड-19 महामारी को राजनीतिक रंग दे रहे, चीन की तरफदारी कर रहे: ट्रंप

दुनियाभर में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद पिछले महीने चीन की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद ने महामारी के बारे में कोई चर्चा नहीं की. पांच से छह देशों ने इस गंभीर मुद्दे पर बैठक के लिए अनुरोध किया, तब जाकर चीन यूएनएससी में कोरोना वायरस पर चर्चा के लिए तैयार हुआ.

इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अमेरिका और चीन से कोरोना वायरस महामारी से मिलकर निपटने की अपील की. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए चीन का पक्षधर बताया था. ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को महामारी के दौरान सारा ध्यान चीन पर केंद्रित करने का आरोप लगाया और फंडिंग रोकने की चेतावनी दी थी. इसके अलावा अमेरिका ने चाइना टेलीकॉम पर भी देश इमं प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. कोरोना वायरस से वुहान में 42 हजार लोगों के मरने की आशंका, क्या चीन ने छुपाया सच?

पिछले महीने चीनी अधिकारीयों ने शक जताया था कि अमेरिकी सेना इस घातक वायरस को वुहान में लेकर आई थी. दुनिया भर में इस जानलेवा वायरस के तेजी से होते प्रसार की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच जारी वाक् युद्ध के दौरान यह बयान आया है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने अपनी खबर में इस पर एक लेख भी लिखा. Coronavirus: चीनी अधिकारीयों को शक- अमेरिकी सेना इस घातक वायरस को वुहान लाई

उधर, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताओं में से एक जाओ लिजिआन ने आरोप लगाया कि संभवत: अमेरिकी सेना ही कोरोना वायरस को वुहान लेकर आई. दुनियाभर में कोविड-19 का सबसे पहला संक्रमण का केस चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर से ही सामने आया था.