चीन ने रचा इतिहास, अगला स्पेस सुपरपावर बनने के लिए चांद की अनदेखे हिस्से पर उतारा पहला रोवर

एक चीनी चंद्र रोवर (Moon Rover) ने चंद्रमा की दूसरी ओर की सतह पर उतरने में बृहस्पतिवार को सफलता हासिल कर ली और इसके साथ ही वह रोवर पृथ्वी (Earth) से चंद्रमा की विमुख फलक पर पहुंचने वाला विश्व का पहला यान बन गया है...

चंद्रमा पर पहला रोवर उतारकर चीन ने रचा इतिहास (Photo Credit-Twitter)

बीजिंग: एक चीनी चंद्र रोवर (Moon Rover) ने चंद्रमा की दूसरी ओर की सतह पर उतरने में बृहस्पतिवार को सफलता हासिल कर ली और इसके साथ ही वह रोवर पृथ्वी (Earth) से चंद्रमा की विमुख फलक पर पहुंचने वाला विश्व का पहला यान बन गया है. वैश्विक स्तर पर इस तरह के पहले प्रक्षेपण की सफलता से अंतरिक्ष महाशक्ति (Space Superpower) बनने की चीन की महत्वाकांक्षाओं को काफी बल मिला है. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (National Space Administration) ने घोषणा की कि यान चांग‘ई 4 ने चंद्रमा की दूसरी ओर की सतह को छुआ और तस्वीरें भेजीं.

लैंडर-रोवर यान चंद्रमा के दूसरी तरफ की  सतह पर 177.6 डिग्री पूर्वी देशांतर और 45.5 डिग्री दक्षिणी देशांतर पर पूर्व निर्धारित लैंडिंग क्षेत्र में स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर पहुंचा. ‘चांग‘ई-4’ का प्रक्षेपण शिचांग के प्रक्षेपण केंद्र से आठ दिसंबर को लॉन्ग मार्च 3बी रॉकेट (Long March 3b Rocket) के जरिये किया गया था. यान दक्षिण ध्रुव ऐटकेन बेसिन में वोन कारमन क्रेटर में उतरा और उसके लैंडर ने मॉनिटर कैमरा से ली गई लैंडिंग स्थल की एक तस्वीर भेजी. यह चंद्रमा के विमुख फलक पर ली गई विश्व की पहली तस्वीर है.

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यह तस्वीर सीएनएसए ने प्रकाशित की है. सरकारी संवाद समिति शिंहुआ ने कहा कि चांग‘ई-4 मिशन चंद्रमा के रहस्यमयी पक्ष का पता लगाने में अहम भूमिका निभाएगा. चंद्र अभियान ‘चांग‘ई-4’ का नाम चीनी पौराणिक कथाओं की चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है. उल्लेखनीय है कि चंद्रमा का आगे वाला हिस्सा हमेशा धरती के सम्मुख होता है और वहा कई समतल क्षेत्र हैं. इस पर उतरना आसान होता है, लेकिन इसकी दूसरी ओर की सतह का क्षेत्र पहाड़ी और काफी ऊबड़-खाबड़ है.

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