पाकिस्तान-चीन और CPEC के खिलाफ बलूचिस्तान व सिंधी नागरिक हुए एकजुट, लड़ रहे हैं आजादी की लड़ाई
पाकिस्तान, चीन के जितना करीब जा रहा है, बलूचिस्तान उससे उतना ही दूर होता जा रहा है. बढ़ते बलूच राष्ट्रवाद को सिंध में एक नया साझीदार-समर्थक संगठन मिल गया है, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध करने की योजना भी बना रहा है, जो 62 अरब डॉलर का एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है.
नई दिल्ली, 9 अगस्त: पाकिस्तान, चीन के जितना करीब जा रहा है, बलूचिस्तान उससे (पाकिस्तान) उतना ही दूर होता जा रहा है. बढ़ते बलूच राष्ट्रवाद को सिंध में एक नया साझीदार-समर्थक संगठन मिल गया है, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का विरोध करने की योजना भी बना रहा है, जो 62 अरब डॉलर का एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है. बलूचिस्तान में पहले से ही बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ), बलूच रिपब्लिकन आर्मी (Baloch Republican Army) और बलूच रिपब्लिकन गार्डस (बीआरजी) हैं, जो पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं.
अब इन चारों ने सीपीईसी का विरोध करने के उद्देश्य से बलूच राजी अजोई संगर (बीआरएएस) के गठन के लिए सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (एसआरए) के साथ हाथ मिलाया है. सीपीईसी के बारे में इनका कहना है कि यह पंजाब-बहुल क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थानीय लोगों का शोषण कर रहा है. बीआरएएस के प्रवक्ता बलूच खान ने कहा कि संगठनों ने एक अज्ञात स्थान पर एक सत्र आयोजित किया था, जहां उन्होंने बलूचिस्तान और सिंध को पाकिस्तान से मुक्त करने की रणनीति बनाई.
स्वतंत्रता-समर्थक संगठनों ने यह भी कहा कि बलूचिस्तान और सिंध के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में हजारों वर्षों से रह रहे हैं और इनकी मजबूत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं. बीआरएएस के एक बयान में कहा गया है, "चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के माध्यम से, पाकिस्तान और चीन का उद्देश्य सिंध और बलूचिस्तान से अपने राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य हितों को हासिल करना है और बादिन से ग्वादर तक के तटों और संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं."
सीपीईसी को ज्यादातर लोग बड़े पैमाने पर खनिज समृद्ध बलूचिस्तान के लिए एक शोषणकारी परियोजना के रूप में देखते हैं जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को लाभान्वित करना चाहता है. 70 साल से अधिक समय के बाद भी, बलूचिस्तान खराब शैक्षिक और स्वास्थ्य प्रणाली के साथ अत्यधिक अविकसित और गरीबी से त्रस्त क्षेत्र बना हुआ है.
चीन का इरादा सैन्य उद्देश्यों के लिए ग्वादर बंदरगाह का उपयोग करने का है, जिससे लगता है कि बलूचिस्तान में अपने स्वयं के सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना चाहता है और कई मजबूत परिसरों का निर्माण किया है. यहां तक कि पाकिस्तान, चीन के इशारे पर, स्थानीय लोगों की इच्छाओं के खिलाफ इलाके में सेना का जमावड़ा लगा रहा है.
राष्ट्रवादियों ने न केवल सार्वजनिक रूप से सीपीईसी के विरोध में घोषणा की है, बल्कि चीनी हितों पर कई हमले किए हैं-अभी एक महीने पहले ही बीएलए ने पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज, 2019 में पांच सितारा पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल और यहां तक कि 2018 में कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था. पिछले कुछ महीनों में, बलूचों ने घात लगाकर अधिकारियों सहित पाकिस्तानी सेना के जवानों को मार डाला है.