एमनेस्टी समेत दो संस्थाओं ने मांग की है कि महिलाओं के खिलाफ तालिबान द्वारा लाए गए प्रतिबंधों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना जाना चाहिए और इसी आधार पर जांच होनी चाहिए.यह मांग एमनेस्टी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जूरिस्ट्स की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में की गई है. रिपोर्ट में अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
अगस्त 2021 में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने बड़े पैमाने पर महिलाओं के अधिकार सीमित किए हैं और उनका शासन निरंतर सत्तावादी बनता गया है. महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से दूर कर दिया गया है और साथ ही उन्हें यात्रा करने और चिकित्सा हासिल करने पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
एमनेस्टी की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, "ये सब अंतरराष्ट्रीय अपराध हैं. ये संगठित, विस्तृत, सुनियोजित हैं." दोनों संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) से अपील की है कि वह अफगानिस्तान के हालात पर चल रही अपनी जांच में "लैंगिक उत्पीड़न जैसे मानवता के खिलाफ अपराध" को भी जोड़ दे.
संयुक्त राष्ट्र से अपील
संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के आने वाले सत्र में "तालिबान द्वारा लैंगिक उत्पीड़न और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दूसरे संभावित अपराधों" पर चर्चा करे.
कैलामार्ड ने कहा कि तालिबान के कदमों के प्रति अभी तक जितनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हुई है उससे ज्यादा मजबूत प्रतिक्रिया होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "सिर्फ एक ही नतीजा स्वीकार्य है: लैंगिक दमन और उत्पीड़न का यह तंत्र ध्वस्त होना चाहिए."
तालिबान ने अभी तक इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. इससे पहले तालिबान इस तरह की रिपोर्टों को पक्षपातपूर्ण और उसके खिलाफ प्रोपेगैंडा बताता रहा है.
अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर तालिबान से मांग की थी वह अफगानिस्तान में "महिलाओं और लड़कियों की पूरी, बराबर, सार्थक और सुरक्षित भागीदारी" सुनिश्चित करे.
सीके/एनआर (डीपीए, एपी)