क्या है इंडिया एआई मिशन
भारत सरकार ने देश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने के लिए एक नए मिशन को मंजूरी दी है.
भारत सरकार ने देश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने के लिए एक नए मिशन को मंजूरी दी है. केंद्रीय कैबिनेट ने इंडिया एआई मिशन के लिए 10,371 करोड़ रुपये के बजट को मंजूर किया है.केंद्र सरकार ने "मेकिंग एआई इन इंडिया" और "मेकिंग एआई वर्क इन इंडिया" के विजन के तहत 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है. सरकार इस फंड को उन कंपनियों को देगी जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) बेस्ड समाधान पर काम कर रही है. मिशन का मकसद देश में नए एआई टूल्स को बढ़ावा देना होगा और एआई के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप की मदद करना है.
सरकार का कहना है कि इंडिया एआई मिशन, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में रणनीतिक कार्यक्रमों और साझेदारी के जरिए एआई नवाचार को मजबूत करने वाला एक बड़ा इकोसिस्टम स्थापित करेगा.
एआई के विकास पर भारत का जोर
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि इस फंड का इस्तेमाल कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना और एआई स्टार्टअप को वित्तपोषित करने में मदद के लिए किया जाएगा.
राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, "एआई हमारे समय के सबसे महान आविष्कारों में से एक है. यह प्रोग्राम हमें भारत और दुनिया के लिए एआई के भविष्य को आकार देने वाली ताकत के रूप में स्थापित करेगा."
नैसकॉम के मौजूदा अनुमानों के मुताबिक भारत का उभरता हुआ एआई बाजार 2027 तक 17 अरब डॉलर का हो जाएगा. यह आंकड़ा एआई सॉफ्टवेयर के लिए वैश्विक बाजार का एक छोटा सा हिस्सा दर्शाता है, जिसके बारे में अमेरिकी रिसर्च कंपनी गार्टनर ने कहा कि यह उसी साल तक 297 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस मिशन को मंजूरी मिलने के बाद कहा, "भारत में एआई-बेस्ड इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए एक बहुआयामी फ्रेमवर्क बनाया गया है. हाई एंड एआई इकोसिस्टम बनाने के लिए जिस तरह की कंप्यूटिंग क्षमता की जरूरत है, उसके लिए लगभग दस हजार ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए उपलब्ध कराए जाएंगे."
उन्होंने कहा, "इनोवेटर्स, स्टार्टअप, विश्वविद्यालयों और रिसर्च संस्थानों के साथ उद्योग को यह एआई सुपर कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इस इंडिया एआई मिशन के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा."
एआई के फायदे और नुकसान
सरकार का कहना है कि इस मिशन के तहत एआई को जिम्मेदार तरीके से डिवेलप करने और अपनाने पर जोर होगा. एक नेशनल डाटा मैनेजमेंट दफ्तर बनाया जाएगा, जो सरकारी विभागों के साथ मिलकर यह देखेगा कि एआई के विकास के लिए गैर निजी डाटा किस तरह उपलब्ध कराया जा सकता है.
भारत 1990 के दशक में शुरू हुए ग्लोबल आउटसोर्सिंग बूम से निर्मित एक विशाल सॉफ्टवेयर सर्विस इंडस्ट्री का दम भरता आया है और एआई सॉफ्टवेयर एक अवसर और खतरे दोनों का प्रतिनिधित्व करता है.
एआई के उभार को इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स जो पारंपरिक कॉल सेंटर या कोडिंग जैसा काम करते हैं, वो एआई मॉडल से अपनी नौकरियों को खतरे में देखते हैं.
ओपनएआई के चीफ एक्जिक्यूटिव सैम ऑल्टमैन ने पिछले साल दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय उद्यमियों और कंपनियों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता के बिना एआई प्रोडक्ट्स बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.
भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों ने एआई एप्लिकेशन बनाने के शुरुआती प्रयास किए हैं. अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की टॉप यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर चैटजीपीटी-स्टाइल चैटबॉट एप्लिकेशन शुरू करने पर काम कर रही है. यह एप्लिकेशन इसी महीने लॉन्च होने की उम्मीद है.
एए/ सीके (एएफपी, रॉयटर्स)