इसरो का ऐतिहासिक मिशन, आज PSLV-C59 से Proba-3 की करेगा लॉन्चिंग; सूर्य का अध्ययन करने में मिलेगी मदद
भारत के अंतरिक्ष मिशन में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है. इसरो का पीएसएलवी-सी59 आज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रॉबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनॉमी) सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च करेगा.
Proba-3 Launched From PSLV-C59: भारत के अंतरिक्ष मिशन में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है. इसरो का पीएसएलवी-सी59 आज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रॉबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनॉमी) सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च करेगा. इसरो के बेंगलुरु मुख्यालय ने बताया कि मंगलवार दोपहर 3:08 बजे से 25 घंटे की काउंटडाउन शुरू हो चुकी है. बुधवार को शाम 4:08 बजे श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से पीएसएलवी-सी59 सैटेलाइट को लॉन्च करेगा. यह पीएसएलवी का 61वां और XL वेरिएंट का 26वां मिशन है.
इस मिशन को इसरो ने "भारत की अंतरिक्ष यात्रा का गौरवपूर्ण पड़ाव" और "वैश्विक साझेदारी का उदाहरण" बताया है.
पीएसएलवी-सी59 से प्रॉबा-3 की लॉन्चिंग आज
क्या है प्रॉबा-3 मिशन?
प्रॉबा-3 दो सैटेलाइट्स का समूह है, जिसे खास तकनीकी प्रदर्शन के लिए डिजाइन किया गया है. ये सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में एक बड़े उपग्रह ढांचे की तरह मिलकर उड़ेंगे और सूर्य के बाहरी वायुमंडल (कोरोना) का अध्ययन करेंगे. सूर्य का कोरोना, जो सूर्य के मुख्य भाग से अधिक गर्म होता है, अंतरिक्ष मौसम का मूल स्रोत है. इसका अध्ययन वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.
मिशन का उद्देश्य
- यह मिशन पहली बार अंतरिक्ष में "फॉर्मेशन फ्लाइंग" तकनीक का प्रदर्शन करेगा.
- दो सैटेलाइट्स - कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर - एक साथ लॉन्च किए जाएंगे.
- लॉन्च के बाद, दोनों सैटेलाइट्स 150 मीटर की दूरी बनाए रखते हुए एकजुट होकर काम करेंगे.
- ऑकुल्टर सैटेलाइट सूर्य के मुख्य भाग को छिपाएगा, जिससे कोरोनाग्राफ सूर्य के कोरोना का अध्ययन कर सके.
लॉन्च और कक्षा में प्रवेश
लॉन्च के 18 मिनट बाद 550 किलोग्राम वजन वाले प्रॉबा-3 सैटेलाइट्स को उच्च पृथ्वी कक्षा (High Earth Orbit) में स्थापित किया जाएगा. सैटेलाइट्स की कक्षा की अवधि 19.7 घंटे होगी, जिसमें अपोजी 60,530 किमी और पेरिजी 600 किमी होगी. इस मिशन में इसरो की इंजीनियरिंग दक्षता और वैश्विक साझेदारी का बेहतरीन समावेश देखा जा सकता है. यह न केवल भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ेगा, बल्कि सूर्य के अध्ययन में भी नए आयाम खोलेगा.