टी-रेक्स का उभरे दांतों वाला चेहरा गलत साबित हो गया
जुरासिक पार्क और खिलौना बनाने वालों ने टिरैनोसोर रेक्स यानी टी रेक्स के बड़े बड़े दातों वाले जो चेहरे दिखाये हैं वह गलत साबित हो रहा है.
जुरासिक पार्क और खिलौना बनाने वालों ने टिरैनोसोर रेक्स यानी टी रेक्स के बड़े बड़े दातों वाले जो चेहरे दिखाये हैं वह गलत साबित हो रहा है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि टी रेक्स के दांत इस तरह से बाहर निकले नहीं होते थे.दुनिया में इस डरावने डायनासोर को सबसे ज्यादा दिखाया और पसंद दिया जाता है लेकिन वैज्ञानिक कह रहे हैं कि इसके दांत इस तरह बाहर निकले नहीं होते थे बल्कि बंद मुंह के भीतर होठों के पीछे छिपे रहते थे.
अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की एक टीम की रिसर्च रिपोर्ट साइंस जर्नल में छपी है. ऑउबर्न यूनिवर्सिटी में पेलियोबायलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर थॉमस कुलेन रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों में शामिल हैं. कुलेन का कहना है, "टी-रेक्स जैसे जानवर थेरोपॉड डायनासोर हैं, ज्यादा संभावना यही है कि नरम ऊतकों वाले होंठ जैसी संरचना उनके दातों को ढंक देती थी और मुंह बंद कर देती थी." थेरोपॉड क्रिटेशियस युग के उन जीवों को कहा जाता है जिनके आगे के पैर छोटे होते थे और जो मजबूत पिछले पैरों के सहारे चलते थे.
छोटी बांहों और विशाल सिर वाला मांसाहारी डायनासोर
कुलेन ने यह भी कहा, "पहले जो अनुमान लगाये गये थे उससे यह काफी अलग है, पहले लगता था कि वो मगरमच्छ की तरह दिखते थे जिसमें उनके बंद मुंह से भी दांत दिखाए देते थे और होंठ जैसी कोई संरचना नहीं थी.
दांतों के एनामेल से निकला नतीजा
इस नतीजे पर पहुंचने के लिए कुलेन और दूसरे रिसर्चरों ने कई म्यूजियम में थेरोपॉड्स को जा कर देखा और फिर कई तरह की छानबीन का सहारा लिया. उन्होंने डायनासोर और घड़ियालों के दातों के इनामेल की घिसाव की प्रक्रिया का अध्ययन किया. घड़ियाल आज के दौर में जीवित इकलौते प्राणी हैं जो थेरोपॉड से मिलते जुलते हैं.
कुलेन का कहना है, "हमने ऐसा किया क्योंकि एनामेल के बारे में डेंटिस्ट कुछ लोगों को बताते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए एनामेल का गीला और स्वस्थ होना जरूरी है. अगर यह हवा के संपर्क में ज्यादा देर रहे तो भुरभुरा हो जाता है और फिर इसके टूटने या बीमारियों के संपर्क में आने का खतरा रहता है."
कुलेन के मुताबिक जीवित घड़ियालों के दातों में बाहर की तरफ के एनामेल भीतर के तरफ की तुलना में ज्यादा तेजी से खराब होते हैं क्योंकि उनके होंठ नहीं होते. कुलेन ने बताया कि जब टी रेक्स के विशाल दातों को परखा गया तो उनके इनामेल में घड़ियालों के दांत की तरह यह फर्क नहीं नजर आया. उनका कहना है, "उनके दांत उन जीवों की तरह थे जिनके होंठ होते हैं. दांतों पर एनामेल की मोटी परत जैसी बाहर की तरफ है वैसी ही भीतर की तरफ भी.
एक और खतरनाक शिकारी डायनासोर
दांत और मुंह के आकार में संबंध
वैज्ञानिकों ने इस बारे में भी रिसर्च किया कि क्या सचमुच टी-रेक्स के दांत इतने बड़े थे कि उनके मुंह में ना समायें. इसके लिए उन्होंने आज के दौर की कई छिपकलियों से उनकी तुलना की जिनके होंठ होते हैं. रिसर्च में पता चला कि कुछ छिपकलियों के दांत बहुत बड़े होते हैं और उन्हें देख कर यकीन करना मुश्किल होता है कि क्या ये दांत होठों से छिप सकेंगे. पर ऐसा होता है. कुलेन कहते हैं, "हमने देखा कि आकार के मामले में इन दोनों के बीच जो रिश्ता है वह बिल्कुल थेरोपॉड डायनासोर जैसा है."
तो अब इस नई खोज का टी-रेक्स के मॉडलों पर क्या असर होगा. कुलेन कहते हैं कि जुरासिक पार्क बनाने वालों ने उस समय के हिसाब से बिल्कुल सही काम किया था लेकिन अब अगर वो उसी बात पर टिके रहते हैं तो यह ठीक नहीं होगा. यानी आने वाले समय में टी रेक्स के मॉडलों के दांत छिपाये जा सकते हैं. तब शायद चेहरा भी बदल जायेगा.
एनआर/सीके (एएफपी)