जीन थेरेपी का चमत्कार, देखने लगा नेत्रहीन रोगी

अमेरिका में जीन थेरेपी के आधार पर एक नेत्रहीन किशोर का इलाज किया गया और अब वह देख पा रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिका में जीन थेरेपी के आधार पर एक नेत्रहीन किशोर का इलाज किया गया और अब वह देख पा रहे हैं. इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.अंटोनियो कारवयाल की आंखों की रोशनी लौट आई है. अपनी 14 साल की जिंदगी का अधिकांश भाग उन्होंने अंधेरे में बिताया है. लेकिन जीन थेरेपी ने उनकी जिंदगी को फिर से रोशन कर दिया है.

कारवयाल एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी डिस्ट्रोफिक एपिडर्मोलाइसिस बुलोसा के साथ जन्मे थे. इस बीमारी के कारण उनके पूरे शरीर पर फफोले हो गये थे. वे फफोले जब आंखों में पहुंचे तो उनकी आंखों की रोशनी चली गयी.

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कहीं और इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था और तब वह एक क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हुए. यह ट्रायल दुनिया में पहली बार टॉपिकल जीन थेरेपी का परीक्षण करने के लिए किया जा रहा था.

ट्रायल के दौरान कारवयाल की त्वचा पर मौजूद फफोले ठीक होने लगे तो उनके डॉक्टर अल्फोंसो साबाटेर को एक ख्याल आया कि क्यों ना दवा में ऐसे बदलाव किये जाएं कि कारवयाल की आंखों में उसे प्रयोग किया जा सके.

और फिर परीक्षण

उन्होंने आई ड्रॉप्स तैयार की और उसे कारवयाल की आंखों पर आजमाया. तरकीब काम कर गयी. ना सिर्फ कारवायल की आंखों की रोशनी लौट आई बल्कि उसके साथ लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी आयी. यह कामयाबी आंखों के बहुत से रोगों के इलाज की राह तैयार कर सकती है.

इस बात से भावुक अंटोनियो की मां यूनी कारवयाल भरी आंखों के साथ कहती हैं कि डॉ. साबाटेर ने उनका बहुत साथ दिया. मायामी यूनिवर्सिटी के पामर आई इंस्टिट्यूट में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "ना सिर्फ वह अच्छे डॉक्टर हैं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं और उम्मीद से भर देते हैं. वह कभी हार नहीं मानते.”

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अंटोनियो कारवयाल को जो रोग है उससे दुनिया में करीब तीन हजार लोग पीड़ित हैं. इसमें जीन्स टूट जाते हैं. ये जीन कोलाजेन 7 नाम का प्रोटीन पैदा करता है जो त्वचा और कॉर्निया को जोड़कर रखता है. उस जीन के टूट जाने से कॉर्निया और त्वचा अलग हो जाते हैं.

डॉ. साबाटेर ने जो तरकीब अपनायी है उसे व्युवेक कहा जाता है. इसमें एक वायरस प्रयोग होता है जो जीन की नकल करता है. इस वायरस को आई ड्रॉप्स के जरिये आंखों में डाला जाता है.

कैसे हुआ इलाज?

दवा को पहले दो साल तक चूहों पर टेस्ट किया गया था. हालांकि यह दवा अभी इंसानों में प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं है लेकिन डॉ. साबाटेर और उनकी टीम ने अमेरिका की दवा नियामक एफडीए से विशेष इजाजत ली कि वे इसे अंटोनियो पर इस्तेमाल करना चाहते हैं.

पिछले साल अगस्त में अंटोनियो की दायीं आंख की सर्जरी हुई और उसके बाद उन्हें आई ड्रॉप्स दी जाने लगीं. डॉ. साबाटेर बताते हैं कि अंटोनियो की आंख सर्जरी से उबर आई, निशान चले गये और हर महीने उनकी हालत बेहतर होने लगी.

हाल ही में अंटोनियो की दायीं आंख की रोशनी की जांच की गयी और वह 20/25 पायी गयी. डॉ. साबाटेर कहते हैं कि यह ठीकठाक रोशनी है.

इसी साल अंटोनियो की बायीं आंख का इलाज शुरू हुआ है. बायीं आंख में ज्यादा समस्या है लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक सुधार हो रहा है.

अन्य डॉक्टर भी इस प्रगति से उत्साहित हैं. पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमी पाएन कहती हैं हैं कि अन्य कई रोगों में इसकी संभावना उत्साहजनक है. वह कहती हैं, "यह तरीका जीन थेरेपी को इस तरह इस्तेमाल करता है कि बीमारी की जड़ तक वार होता है.”

वीके/एए (एपी)

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