भारत ने कहा, उसकी है ऑस्ट्रेलिया में मिली अनोखी चीज
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि ऑस्ट्रेलिया में एक बीच पर मिली अनोखी चीज दरअसल उसके रॉकेट का ही एक टुकड़ा था.भारत ने माना है कि वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में एक समुद्र तट पर मिली धातु की विशाल चीज उसके एक रॉकेट से टूट कर गिरा एक टुकड़ा था. यह विशालकाय चीज जुलाई में पर्थ शहर से करीब 250 किलोमीटर उत्तर में एक समुद्र तट पर मिला था. इस अनजान चीज को देखकर लोगों में खासा कौतुहल पैदा हो गया था क्योंकि उस वक्त कोई यह बताने की स्थिति में नहीं था कि यह चीज क्या है और कहां से आयी.

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने बीबीसी को बताया कि यह चीज पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) रॉकेट का टुकड़ा था. बीबीसी ने इसरो के प्रवक्ता सुधीर कुमार के हवाले से लिखा है कि इस टुकड़े का क्या करना है, यह पूरी तरह ऑस्ट्रेलिया पर निर्भर है.

बुधवार को ही ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी (एएसए) ने कहा था कि धातु का यह विशाल गोला पीएसएलवी रॉकेट का टुकड़ा हो सकता है, जो भारत अपने उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इस्तेमाल करता है.

अब क्या होगा?

आमतौर पर जब अंतरिक्ष एजेंसियां रॉकेट छोड़ती हैं तो इस तरह से योजना बनायी जाती है कि उनके टुकड़े समुद्र में गिरें ताकि जान या माल का कोई नुकसान ना हो. लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि ये टुकड़े जमीन पर भी गिरते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन टुकड़ों को पहचानना मुश्किल नहीं होना चाहिए क्योंकि अक्सर पुर्जों पर सीरियल नंबर लिखे होते हैं, जिनसे उनके मूल देश का पता लगाया जा सकता है.

एएसए ने कहा है कि वह भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिलकर पीएसएलवी के टुकड़े के भविष्य को लेकर विचार कर रही है ताकि "संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष संधि के तहत तय जिम्मेदारियों के अनुसार अगले कदम” उठाये जा सकें.

संयुक्त राष्ट्र के बाह्य अंतरिक्ष मामलों के विभाग के तहत यदि अंतरिक्ष से कोई चीज किसी देश में गिरती है तो उसकी जिम्मेदारी है कि उसे मूल देश को लौटाये. बहुत सारे देश इन टुकड़ों को वापस चाहते हैं ताकि अंतरिक्ष अभियान का विश्लेषण किया जा सके. हालांकि इस मामले में भारत को इस टुकड़े से कोई खास फायदा नहीं होना है, इसलिए उसे वापस लेने में उसकी दिलचस्पी ना होना जाहिर है.

ऑस्ट्रेलिया रखने को तैयार

उधर वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया राज्य की सरकार भी ऐसे संकेत दे चुकी है कि वह इस टुकड़े को अपने पास रखना चाहेगी. स्थानीय मीडिया से बातचीत में राज्य के मुख्यमंत्री रॉजर कुक ने कहा था कि इस टुकड़े को राज्य के संग्राहलय में उसी जगह रखा जा सकता है जहां नासा के स्काईलैब स्टेशन से गिरे टुकड़े रखे हैं. स्काईलैब से गिरे टुकड़े 1979 में मिले थे और उन्हें संग्राहलय में लोगों के देखने के लिए रखा गया है.

ऑस्ट्रेलिया के सार्वजनिक प्रसारक ने रिपोर्ट छापी थी कि कुछ लोग इसे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी इस्तेमाल करना चाहते हैं. फिलहाल यह विशाल टुकड़ा एएसए के गोदाम में रखा गया. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पीएसएलवी का यह टुकड़ा इसरो के किस अभियान में प्रयोग किये गये रॉकेट से गिरा है और कितने दिन पानी में रहने के बाद समुद्र तट पर आया. यह कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक की अवधि हो सकती है.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि ऑस्ट्रेलिया में अंतरिक्षीय मलबे के टुकड़े गिरे हों. पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में कई जगहों पर इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के अंतरिक्ष अभियानों से मलबा गिरा था.

विवेक कुमार (रॉयटर्स)