14 महीने में 30 लॉन्च! अंतरिक्ष में लहराएगा भारत का परचम, सरकारी-निजी क्षेत्रों के साथ मिलकर इतिहास रचेगा इसरो

श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से अगले 14 महीने में देश से कुल 30 अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की योजना बनाई गई है जिसमें सरकारी और निजी इकाइयों द्वारा वाणिज्यिक तथा गैर-वाणिज्यिक प्रक्षेपण शामिल हैं.

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चेन्नई, 8 फरवरी: आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से अगले 14 महीने में देश से कुल 30 अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की योजना बनाई गई है जिसमें सरकारी और निजी इकाइयों द्वारा वाणिज्यिक तथा गैर-वाणिज्यिक प्रक्षेपण शामिल हैं. अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने गुरुवार को यह जानकारी दी. प्रस्तावित मिशनों में देश के मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान से संबंधित परीक्षण उड़ानें शामिल हैं.

अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र के लिए नियामक इन-स्पेस ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए अपने एकीकृत लॉन्च घोषणापत्र में बताया, “एसडीएससी (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) से 2023-24 की चौथी तिमाही और 2024-25 के लिए लगभग 30 लॉन्च की योजना बनाई गई है, जिनमें से आधे देश के वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए है जबकि अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा वित्त पोषित वैज्ञानिक मिशन या प्रौद्योगिकी परीक्षण हैं.“

इन-स्पेस के अनुसार, पहचाने गए 14 वाणिज्यिक मिशनों में से सात प्रक्षेपण न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड - अंतरिक्ष विभाग की वाणिज्यिक शाखा - द्वारा किए जा रहे हैं, जिसमें एलएंडटी-एचएएल कंसोर्टियम से दो ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) भी शामिल है.

यह पिछले वर्षों की तुलना में लॉन्च गतिविधि में पर्याप्त वृद्धि का प्रतीक है और देश में विस्तारित अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का एक सकारात्मक संकेतक है.

यह पहल हाल ही में अनुमोदित भारतीय अंतरिक्ष नीति के निर्देशों के अनुरूप है, जिसमें सार्वजनिक व्यय के माध्यम से बनाए गए लॉन्च-बुनियादी ढांचे के लिए लॉन्च घोषणापत्र के प्राधिकरण के साथ इन-स्पेस को सौंपा गया है.

लॉन्च घोषणापत्र में इसरो द्वारा वाणिज्यिक लॉन्च और संबंधित प्राथमिक और सहयात्री उपग्रहों के साथ-साथ उपयोगकर्ता-वित्त पोषित, वैज्ञानिक मिशन और अन्य प्रौद्योगिकी प्रदर्शन लॉन्च को व्यापक रूप से शामिल किया गया है.

इन-स्पेस ने कहा, "एकीकृत लॉन्च घोषणापत्र संसाधनों के अनुकूलन और भारत को अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने के अंतरिक्ष विभाग के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा देता है."

निजी क्षेत्र के प्रमुख रॉकेट मिशनों में अग्निकुल कॉसमॉस और स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा नियोजित सब-ऑर्बिटल और ऑर्बिटल लॉन्च शामिल हैं.

निजी क्षेत्र के कुछ उपग्रह दिगंतारा रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी, ध्रुवस्पेस, स्पेस किड्ज़ इंडिया और आईआईटी-मद्रास, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सी.वी. रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी ओडिशा जैसे शैक्षणिक संस्थानों से हैं.

बयान में कहा गया है कि इन-स्पेस इस अवधि के दौरान निजी इकाइयों की किसी भी अतिरिक्त आवश्यकता को समायोजित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा.

इन-स्पेस द्वारा जारी लॉन्च घोषणापत्र के अनुसार, निम्नलिखित अंतरिक्ष मिशन मौजूदा वित्त वर्ष के अंत (31 मार्च 2024) से पहले निर्धारित हैं:

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, अंतरिक्ष मिशन इस प्रकार हैं:

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