समय के साथ खत्म हो जाएंगे हेट्रोसेक्सुल लोगः शोध

वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन के बाद कहा है कि समय के साथ बाइसेक्सुअल लोगों की संख्या बढ़ेगी जबकि हेट्रोसेक्सुअल यानी सिर्फ विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने वाले लोग खत्म हो जाएंगे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन के बाद कहा है कि समय के साथ बाइसेक्सुअल लोगों की संख्या बढ़ेगी जबकि हेट्रोसेक्सुअल यानी सिर्फ विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने वाले लोग खत्म हो जाएंगे.वैज्ञानिकों ने ऐसे जेनेटिक बदलावों की पहचान की है जो बाइसेक्सुअल यानी पुरुष और स्त्री दोनों के प्रति आकर्षित होने के व्यवहार के लिए जिम्मेदार माने गए हैं. शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि जब ये जेनेटिक वेरिएशन विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित पुरुषों में पाए जाते हैं तो खतरा उठाने या ज्यादा बच्चे पैदा करने जैसा व्यवहार देखने को मिलता है.

मिशिगन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जियांजी जॉर्ज जांग इस शोध के मुख्य शोधकर्ता हैं. उन्होंने बताया कि इस खोज ने मानव विकास से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं. मसलन मानव विकास की प्रक्रिया के दौरान ऐसा क्यों हुआ कि समान लिंग की ओर आकर्षण वाले जीन्स लुप्त नहीं हुए.

साढ़े चार लाख लोगों पर अध्ययन

बुधवार को साइंस अडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित यह शोध यूरोपीय मूल के 4,50,000 लोगों पर अध्ययन पर आधारित है. इन लोगों ने लंबे समय तक चले इस जेनोमिक्स प्रोजेक्ट में सहमति से हिस्सा लिया था. इनके आंकड़े यूके बायोबेंक ने जमा किए.

इसी तरह का एक अध्ययन 2019 में साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था जिसमें कहा गया था समान लिंग के प्रति आकर्षण के लिए जेनेटिक वेरिएशन कुछ हद तक जिम्मेदार हैं. हालांकि उस शोध में पर्यावरणीय कारकों को ज्यादा अहम माना गया था.

जांग कहते हैं कि हमें लगा कि अब तक लोग सभी तरह के समलिंगी व्यवहार को एक साथ रखते रहे हैं लेकिन एक तरह की श्रेणी है. वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के डीएनए का अध्ययन किया और सर्वेक्षण के दौरान उनसे पूछे गए सवालों के जवाबों में मिली सूचनाओं के साथ मिलाकर उसका विश्लेषण किया.

जांग और उनके सहायक शोधार्थी सीलियांग सोंग इस विश्लेषण के जरिए यह जानने में कामयाब रहे कि समान और विपरीत लिंग के प्रति व्यवहार से जुड़े चिन्ह अलग-अलग हैं. इसका अर्थ है कि दोनों श्रेणियों का वे अलग-अलग विश्लेषण कर सके.

उन्होंने पाया कि दोनों लिंगों के प्रति आकर्षण पैदा करने वाले जीन्स (बीएसबी) जिन विपरीतलिंगी पुरुषों में मौजूद थे वे औसत से ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे थे इसलिए वे जीन्स आगे भी बढ़ रहे थे.

बाइसेक्सुअल जीन्स यानी ज्यादा बच्चे

इसके अलावा शोध में यह भी पता चला कि जिन पुरुषों ने खुद को ज्यादा खतरे उठाने वाला बताया, उनके अंदर ज्यादा बच्चे पैदा करने की संभावनाएं ज्यादा थीं. यानी उनमें बीएसबी जीन्स को अगली पीढ़ी तक ले जाने की संभावना भी ज्यादा थी.

शोधकर्ता कहते हैं, "हमारे शोध के नतीजे दिखाते हैं कि बीएसबी जीन्स वाले नरों में पुनरोत्पादन यानी बच्चे पैदा करने की संभावना ज्यादा होती है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि क्यों वे जीन्स पिछली पीढ़ी से उनके अंदर बने रहे और आगे भी बढ़ रहे हैं.”

हालांकि यूके बायोबैंक के सर्वेक्षण में बहुत सरल सवाल पूछे गए थे मसलन क्या आप खुद को खतरे उठाने वाला समझते हैं या नहीं. लेकिन इसका एक निष्कर्ष यह निकाला गया कि खतरे उठाने वाले व्यवहार में असुरक्षित यौन संबंध बनाने और ज्यादा लोगों के साथ यौन संबंध बनाने की प्रवृत्ति ज्यादा होगी.

जांग कहते हैं कि एक ही जीन्स अलग-अलग कारकों के लिए जिम्मेदार हो सकता है. वह कहते हैं, "कुदरत बहुत जटिल चीज है. यहां हम तीन अलग-अलग कारकों की बात कर रहे हैं. बच्चों की संख्या, खतरा उठाने से जुड़ा व्यवहार और दो लिंगों के प्रति आकर्षण. इन तीनों के लिए एक ही जीन्स जिम्मेदार है.”

क्या खत्म हो जाएंगे विपरीतलिंगी?

दूसरी तरफ सिर्फ समान लिंग की तरफ आकर्षण के लिए जिम्मेदार जीन्स कम बच्चे पैदा करने के व्यवहार से जुड़े थे. यानी जिन विपरीतलिंगी पुरुषों में ये जीन्स पाए गए उनके अंदर बच्चे पैदा करने की संभावना ज्यादा थी, जिसका निष्कर्ष यह निकाला गया कि समय के साथ-साथ ये जीन्स खत्म हो जाएंगे.

हालांकि यूके बायोबैंक के आंकड़ों ने यह भी दिखाया कि पिछले दशकों में दोनों लिंगों और समान लिंग के प्रति आकर्षण को जाहिर करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो समाज के खुलेपन के कारण हो सकता है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि कोई व्यक्ति दोनों लिंगों के प्रति आकर्षित है या नहीं, यह 40 फीसदी जेनेटिक्स पर निर्भर करता है और 60 फीसदी माहौल पर.

उन्होंने जोर देकर कहा, "हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे निष्कर्ष विविधता, बहुलता और मानव के यौन व्यवहार की बेहतर समझ में योगदान देने के लिए हैं. वे किसी भी रूप में यौन व्यवहार के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देने या समर्थन करने के लिए नहीं हैं.”

वीके/सीके (एएफपी)

Share Now

\