कोविड के दौरान जन्मे बच्चों को भाषा सीखने में दिक्कतः शोध
कोविड महामारी के दौरान जन्मे बच्चों को भाषा सीखने में दिक्कत आ रही है.
कोविड महामारी के दौरान जन्मे बच्चों को भाषा सीखने में दिक्कत आ रही है. लॉकडाउन का असर उनके सीखने की क्षमता पर पड़ा है.विशेषज्ञ कहते हैं कि पैदा होने के पहले कुछ महीनों में बच्चों के साथ जिस तरह का संवाद होता है, वह उनके संवाद और भाषा कौशल की नींव बनता है. स्पर्श से लेकर बच्चों की ओर देखकर मुस्कुराना और उनसे बात करना ही उनके पहले सबक होते हैं, जो आगे जाकर बातचीत में बदलते हैं.
इसलिए कोविड महामारी के दौरान लगी पाबंदियों ने उन बच्चों की भाषा और संवाद क्षमता को बहुत प्रभावित किया है. स्पेन के कुछ शोधकर्ताओं ने इस बारे में शोध के बाद बताया है कि कोविड के दौरान लोगों के बीच संवाद कम हुआ, मिलना जुलना घटा और भौतिक आदान-प्रदान लगभग बंद रहा, जिसका असर उस दौरान जन्मे बच्चों पर हुआ है.
कैसे हुआ शोध?
द कन्वर्सेशन पत्रिका में छपे एक शोध पत्र में कहा गया है कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों का संवाद इतना सीमित और अलग था कि इससे उनका विकास प्रभावित हुआ.
यह शोध चार विशेषज्ञों ने मिलकर किया है जो मैड्रिड के अलग-अलग संस्थानों से जुड़े हैं. ईवा मुरिलो सांज, आईरीन रूहास पास्कल, मार्ता कास्ला सोलर और मिगेल लाजारो मनोविज्ञान के विशेषज्ञ हैं.
उन्होंने स्पेन में महामारी से ठीक पहले या उसके दौरान जन्मे बच्चों में भाषा ज्ञान का अध्ययन किया और पाया कि "ये बच्चे अपने से पहले जन्मे बच्चों के मुकाबले धीमा सीख रहे थे.”
शोधकर्ता कहते हैं, "हमने शब्दों के ज्ञान और जटिल वाक्य बनाने की क्षमता दोनों का विश्लेषण किया. 18 से 31 महीने के 153 बच्चे अध्ययन में शामिल हुए. जब हमने दो समूहों के आंकड़ों की तुलना की. इन दोनों समूहों में एक जैसे नर्सरी स्कूलों में शिक्षा पाए और एक ही आयुवर्ग के बच्चे थे.”
एक समूह उन बच्चों का था जो महामारी से पहले जन्मे थे. उनके आंकड़े महामारी से पहले जुटाए गए थे. दूसरे समूह में महामारी से ठीक पहले या उसके दौरान यानी अक्तूबर 2019 से दिसंबर 2020 के बीच जन्मे बच्चे थे.
मास्क का भी असर
शोधकर्ता लिखते हैं, "हमारे नतीजों ने दिखाया कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों की भाषा में दूसरे समूह के मुकाबले कम शब्द थे. उनका शब्दकोश भी छोटा था. दूसरी तरफ महामारी से पहले जन्मे बच्चे ज्यादा जटिल वाक्य बना पा रहे थे और उनके पास शब्द भी ज्यादा थे.”
इन नतीजों के आधार पर शोधकर्ता मानते हैं कि महामारी के दौरान जन्मे बच्चों के सामाजिक रिश्ते सीमित रहे जिसका असर उनके भाषा ज्ञान पर हुआ होगा. इसके अलावा मास्क पहनना भी एक कारक माना गया.
शोध के मुताबिक मास्क से संवाद बाधित होता है और बच्चों के लिए भाषा सीखते वक्त उन्हें चेहरे के हावभाव देखकर समझने और सीखने का मौका कम मिला.